मेरठ 10 अक्टूबर (प्र)। स्वच्छ भारत मिशन के दस साल बीत गए । नगर निगम क्षेत्र में मौजूद सभी पुराने एसटीपी आधी-अधूरी क्षमता से चल रहे हैं। उनकी क्षमता बढ़ाने के प्रयास भी नहीं किए गए। काली नदी की स्वच्छता के लिए जो 220 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का शिलान्यास किया गया। उसका निर्माण भी अभी शुरू नहीं हो सका। शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के दावों की हकीकत यही है कि 63 फीसद शहर का सीवेज सीधे नाले-नालियों में बहाया जा रहा है।
वर्ष 2010 से पहले शहर में मेरठ विकास प्राधिकरण के करीब 13 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट विभिन्न योजनाओं में स्थापित किए गए थे। जिनकी कुल शोधन क्षमता 107 एमएलडी है। जिसके सापेक्ष बमुश्किल 60 एमएलडी सीवेज शोधित हो रहा है। जलनिगम का एक प्लांट 72 एमएलडी का है। जिसके सापेक्ष 58 एमएलडी सीवेज शोधित होता है। शहर में घरों से प्रतिदिन 300 एमएलडी से सीवेज निकलता है। कुल शोधन क्षमता 179 एमएलडी ही मौजूद है। जिसका भी पूरा उपयोग नहीं हो रहा है।
मेरठ विकास प्राधिकरण के एसटीपी जब स्थापित हुए थे, उस वक्त उन क्षेत्रों की आबादी कम थी। जिस वजह से शोधन क्षमता का पूरा उपयोग संभव नहीं था। वर्तमान में उन एसटीपी के आसपास नई कालोनियां-मोहल्ले विकसित होने से आबादी बढ़ गई है। एसटीपी की शोधन क्षमता का पूरा सदुपयोग करने के लिए उन कालोनियों-मोहल्लों को एसटीपी से जोड़ने की जरूरत है। लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के बीच इस विषय को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई। इस दिशा में करीब एक साल पहले रक्षापुरम एसटीपी से खटकाना – आजादनगर, कसेरूखेड़ा, न्यू मीनाक्षीपुरम समेत छह कालोनियों को जोड़ने के लिए एक प्रयास शुरू हुआ था। यह प्रोजेक्ट टेंडर प्रक्रिया में है। लेकिन बाकी एसटीपी की शोधन क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिए दूसरा कहीं कोई प्रयास नहीं हो रहा है। एसटीपी हस्तांतरण को लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के बीच पत्राचार तो चल रहा है, लेकिन परिणाम शून्य है। वहीं, 220 एमएलडी एसटीपी का निर्माण जागृति विहार एक्सटेंशन के समीप कमालपुर में होना है। शिलान्यास के बाद तय कंपनी शर्ते पूरी नहीं कर पा रही है। जिससे यह निर्माण कार्य अधर में है।
अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय का कहना है कि एसटीपी के हस्तांतरण के संबंध में मेरठ विकास प्राधिकरण के साथ सर्वे हुआ था। रक्षापुरम एसटीपी से कुछ कालोनियों को जोड़ने के लिए नई सीवर लाइन डालने का प्रस्ताव बनाया गया है। जिसका टेंडर प्रक्रिया में है। फाइनेंशियल बिड खुलनी है। इसके बाद चयनित कंपनी को वर्क आर्डर दिया जाएगा। रक्षापुरम एसटीपी की पूरी क्षमता का उपयोग संभव होगा।