मेरठ, 19 नवंबर (प्र)। जीआईएस सर्वे द्वारा चिन्हित 70 भवन के गृहकर बिल वितरित करने पर संयुक्त व्यापार संघ ने गत दिवस नगर निगम में हंगामा कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम की बोर्ड बैठक में जीआईएस सर्वे को होल्ड करने के बावजूद भी निगम के अधिकारी मनमानी और व्यापारियों का शोषण कर रहे हैं। जीआईएस सर्वे करने वाले अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। इसके बावजूद सर्वे के आधार पर ही वसूली की जा रही है।
व्यापारी और पार्षदों ने जीआईएस सर्वे पर पहले ही अपनी नाराजगी जताई थी। इसके बाद महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने निगम की बोर्ड बैठक में जीआईएस सर्वे को होल्ड कर दिया था। इसके बावजूद नए गृहकर के बिल भेज दिए गए। संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष अजय गुप्ता का कहना कि नियमों के विरुद्ध निगम में काम हो रहा है। नगर निगम अधिनियम कहता है कि 213 का नोटिस दिया जाना चाहिए। कम से कम एक महीना करदाताओं को समाधान का मौका दिया जाए।
निगम की बोर्ड बैठक की अवहेलना हुई है। यह सारा भार शहर के व्यापारियों पर जानबूझकर डाला जा रहा है। बड़े बकायेदार से वसूली करने में निगम को परेशानी हो रही है और करीब छोटा व्यापारी के पास और उनके प्रतिष्ठान पर पहुंचकर वसूली का दबाव दिया जा रहा है। जिसको संयुक्त व्यापार संघ बर्दाश्त नहीं करेगा। व्यापारियों ने निगम में आक्रोश जताते हुए जमकर हंगामा किया। नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा और चेतावनी कि अगर नए गृहकर के वसूली के लिए दबाव बनाया जाएगा तो वह आंदोलन करेंगे। कोई भी व्यापारी नया गृहकर नहीं देगा। हंगामा करने वालों में व्यापारी नेता राजीव गुप्ता उर्फ काले, संदीप रेवड़ी, कुलदीप वाल्मीकि सहित कई व्यापारी और पार्षद मौजूद थे।
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि जब तक गृहकर वसूली में इजाफा नहीं होगा, तब तक विकास नहीं होगा। इसको देखते हुए नए बिल वितरित किए गए हैं। बिल के साथ स्वकर प्रपत्र प्रणाली और आपत्ति के फॉर्म भी दिए जा रहे हैं। मौके पर ही निस्तारण करने के लिए निगम ने टीम बना दी है।
मोदी रबर फैक्टरी में जांच करने पहुंचे अधिकारी
मोदी रबर फैक्टरी में 105 करोड़ रुपये के गृहकर की जांच करने के लिए निगम के अधिकारी पहुंच गए। समिति के सदस्य अपर नगर आयुक्त पंकज कुमार, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एसके गौतम सहित कई अधिकारियों ने निरीक्षण किया। यहां तैनात चौकीदार ने निगम की टीम को रोक दिया। इसके बाद निगम अधिकारियों ने प्रर्वतन दल को बुला लिया। निगम अधिकारियों ने निगम के अधिनियम का हवाला दिया। तब जाकर निगम की टीम ने फैक्टरी के अंदर जाकर जांच की।