मेरठ 28 नवंबर (प्र)। परतापुर स्थित भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी का विस्तारीकरण और 72 सीटर विमान के उड़ान का रास्ता अपर मुख्य सचिव की बैठक में साफ हो गया। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि उड़ान कराएं और एयरपोर्ट अथॉरिटी के अभिलेखों में भूमि दर्ज कराने में जो समस्या आ रही है, इसका डीएम निस्तारण कराएं। विकास प्राधिकरण, वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बातचीत कर मामले को निपटाएं। जमीन का उचित पैसा संबंधित विभाग को दिया जाए।
लखनऊ में अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल की बैठक में एयरपोर्ट अथॉरिटी, विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय, सिटी मजिस्ट्रेट अनिल कुमार सहित आठ विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। मेरठ में हवाई उड़ान के लिए मौजूदा हवाई पट्टी पर पर्याप्त जमीन है, जहां पर 72 सीटर के विमान की उड़ान हो सकती है। एयरपोर्ट अथॉरिटी के सर्वे रिपोर्ट में 2280 मीटर लंबा और 210 मीटर चौड़ा ट्रैक बनाने की जगह है, जहां से विमान उड़ान भर सकता है। एयरपोर्ट अथॉरिटी के अभिलेखों में परतापुर हवाई पट्टी की जमीन को दर्ज कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी। मेरठ विकास प्राधिकरण ने अपनी जमीन देने के एवज में 22 करोड़ रुपये की डिमांड की व जिला प्रशासन महज चार करोड़ देने पर अड़ा था। दोनों विभाग की खींचतान के चलते विमान के उड़ान पर अड़ंगा लगा हुआ था।
राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और मेरठ में 72 सीटर विमान की उड़ान कराने का आग्रह किया। अपर मुख्य सचिव ने विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और सिटी मजिस्ट्रेट के साथ एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों से परतापुर हवाई पट्टी की स्थिति जानी। बैठक में मेरठ डीएम दीपक मीणा को भी वर्चुअल शामिल कराया गया। विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने बताया कि 2001 में उक्त जमीन की कीमत चार करोड़ का आंकी गई थी। अब इस जमीन की कीमत 22 करोड़ रुपये है।
सिटी मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने कहा कि चार करोड़ में जमीन लेना तय हुआ था, जिसमें से करीब 1.50 करोड़ रुपए प्रशासन दे चुका है। अपर मुख्य सचिव ने डीएम को निर्देश दिए कि जमीन की समस्या का निस्तारण कराए और विमान के उड़ान के रास्ते की प्रक्रिया चलाए ।
दस्तावेज पर मंथन करेगा प्रशासन
डीएम दीपक मीणा का कहना है कि हवाई पट्टी के विस्तारीकरण और 72 सीटर विमान के उड़ान का रास्ता साफ है। जिला प्रशासन पहले भी अपनी रिपोर्ट एयरपोर्ट अथॉरिटी और शासन को भेज चुका है। किसानों की जमीन हो या विकास प्राधिकरण की, इन सब पर संबंधित अधिकारियों के साथ मंथन करेंगे। दस्तावेज पूरे कराकर एयरपोर्ट अथॉरिटी के अभिलेखों में जमीन दर्ज कराएंगे। विवाद की कोई बात नहीं है। अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।