Friday, July 4

फर्जी फर्म बनाकर 45 करोड़ की जीएसटी चोरी, गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार

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मेरठ 04 जुलाई (प्र)। मेरठ एसटीएफ यूनिट ने फेक आइडी पर नकली इनवॉइस व ई-वे बिल जनरेट कर करोड़ों की जीएसटी चोरी को अंजाम देने वाले गिरोह को बेनकाब किया है। इस गिरोह के पांच आरोपी कर्नाटक से गिरफ्तार किए गए हैं, जिनके पास से भारी संख्या में फर्जी बिल बुक, रबड़ मोहर व अन्य सामान बरामद हुआ है।

मुजफ्फरनगर के ग्राम वडसू निवासी अश्वनी कुमार पुत्र अशोक कुमार ने साइबर थाना मुजफ्फरनगर में एक शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष उनके मोबाइल नंबर पर एक महिला की कॉल आई, जिसने एयरपोर्ट पर नौकरी लगवाने का झांसा देकर उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली का बिल आदि समस्त दस्तावेज लेकर एक फर्जी फर्म एके ट्रेडर्स तैयार की। आरोपियों ने इस फर्म के जरिए 248 करोड़ के फर्जी बिल जनरेट किए और करीब 48 करोड़ की जीएसटी चोरी को अंजाम दिया।

कुछ दिन बाद अश्वनी गुप्ता के घर पहुंचे जीएसटी विभाग के अफसरों ने बताया कि उनके नाम पर एके ट्रेडर्स नाम से फर्म रजिस्टर्ड है। इस फर्म के नाम पर मार्च 2024 से अब तक 248 करोड़ के बिलों को जीएसटी पोर्टल पर अपलोड किया गया है। इन पर 45 करोड़ रुपये का टैक्स बन रहा है। इस मामले की विवेचना अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था ने एसटीएफ को स्थानांतरित की थी।

एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं आरोपी
एसटीएफ ने बंगलुरु के थाना वायदराहल्ली से राजस्थान के जिला बाड़मेर के थाना आजीटी गांव गोलिया गरवा निवासी रतना राम, ओमप्रकाश, हनुमान राम और थाना गुडामालानी के गांव दबड़ निवासी बुद्धाराम और गांव डाबड निवासी संतोष कुमार को गिरफ्तार किया। सभी आरोपी आपस में रिश्तेदार हैं। इनके पास से एसटीएफ ने 13 मोबाइल, एक प्रिंटर, विभिन्न कंपनियों की 8 बिल बुक, चार रबड़ की मुहर, एक नंबरिंग मशीन, चार चेक बुक और तीन कार बरामद की।

इस तरह फर्जीवाड़ा कर रहे थे आरोपी
एसटीएफ के एएसपी बृजेश कुमार सिंह के मुताबिक सभी आरोपी बंगलुरु में किराये के मकान में रह रहे थे। इनके परिचित लाभूराम निवासी कोटडा थाना करडा, जिला जालोट (राजस्थान) व सुरेश निवासी बाड़मेर सीधे-सादे लोगों से नौकरी लगवाने का लालच देकर उनके कागजात ले लेते थे। किसी फर्जी आईडी पर सिम निकलवाकर उनके नाम पर जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन फर्जी फर्म रजिस्टर्ड करते थे।
इसका इस्तेमाल फर्जी ई-वे बिल बनाकर करीब दो साल से करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी कर रहे थे। लाभूराम व सुरेश ने पकड़े गए आरोपियों को मोबाइल, फर्जी आईडी के सिम, प्रिंटर, चेक बुक, बिल बुक, रबड़ की मोहर, स्टांप आदि उपलब्ध कराए थे।

तीन हजार रुपये प्रति बिल देते थे
जीएसटी बिल काटने की एवज में सुरेश व लाभूराम पकड़े गए आरोपियों को प्रति बिल पर तीन हजार रुपये देते थे। किस कंपनी के नाम पर कितने का बिल काटना है, इसकी डिटेल लाभूराम व सुरेश बताते थे। जिस कंपनी के नाम पर बिल काटा जाता था, उस कंपनी से सुरेश व लाभूराम अपनी बनाई गई फर्जी फर्म के बैंक खातों में रुपये लेते थे। अपना 10 से 20 प्रतिशत कमीशन काटकर पैसा कंपनी के बताए किसी अन्य खाते में या नकद वापस कर देते थे। फर्जी फर्म को कुछ समय बाद बिना जीएसटी जमा किए बंद कर देते थे। इस तरह ये लोग जीएसटी की चोरी कर केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा चुके हैं। टीम लाभूराम और सुरेश को तलाश कर रही है।

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