मेरठ, 04 जुलाई (वि)। भारत में बचपन के टीकाकरण में लगातार प्रगति हो रही है, और इसी के साथ विशेषज्ञ अभिभावकों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से आग्रह कर रहे हैं कि वे बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम के एक अहम चरण को नजरअंदाज न करें। स्कूल में प्रवेश की उम्र (4-6 वर्ष) पर डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस और पोलियो की बूस्टर डोज देना। हालांकि शिशु अवस्था में दिया गया प्रारंभिक टीकाकरण शुरुआती सुरक्षा प्रदान करता है, वैज्ञानिक प्रमाण दर्शाते हैं कि डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस और पोलियो के प्रति प्रतिरक्षा समय के साथ कम हो जाती है। यदि बच्चों को समय पर बूस्टर नहीं मिलते हैं, तो जब वे स्कूल जाना शुरू करते हैं और अधिक लोगों से मिलते हैं, उस समय वे गंभीर बीमारियों के खतरे में आ सकते हैं। डॉ. अनुज रस्तोगी, एमडी, तारा किड्स – ग्रोथ क्लिनिक एंड वैक्सीनेशन सेंटर, सिविल लाइंस, मेरठ, कहते हैं, “जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी सुरक्षा प्रदान करने वाली प्रतिरक्षा में गिरावट आना स्वाभाविक है। इसलिए 4-6 वर्ष की उम्र में बूस्टर टीकाकरण जरूरी हो जाता है, ताकि न केवल बच्चे को व्यक्तिगत सुरक्षा मिले बल्कि समुदाय स्तर पर भी सामूहिक प्रतिरक्षा को बनाए रखा जा सके और भारत की पोलियो-मुक्त स्थिति को और मजबूती मिल सके। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स इन सुरक्षित और प्रभावी टीकों की पुरजोर सिफारिश करता है।”
वे आगे जोड़ते हैं, “स्कूल प्रवेश पर आयोजित टीकाकरण अभियान दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करते हैं। ये बड़े पैमाने पर बच्चों का टीकाकरण करने का एक प्रभावी माध्यम हैं और साथ ही उन प्रतिरक्षा अंतरालों को भरने में मदद करते हैं जो छूटे हुए या देर से दिए गए टीकों के कारण बने होते हैं। इस अहम समय पर बूस्टर देना बच्चों को बाल्यावस्था से किशोरावस्था के संक्रमणकाल में निरंतर सुरक्षा प्रदान करता है। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में डीटीपी टीकाकरण की सिफारिश करता है, फिर 16-24 महीनों में एक बूस्टर डोज और पोलियो के लिए 6 और 14 सप्ताह की उम्र में दो अंशात्मक खुराक दी जाती हैं। लेकिन जब बच्चा 4-6 वर्ष की उम्र तक पहुँचता है, तब तक सुरक्षा देने वाली एंटीबॉडी का स्तर घटने लगता है, जिससे संक्रमण और प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है। जैसे-जैसे टीकाकरण के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, कई स्कूल अब स्वास्थ्य और टीकाकरण रिकॉर्ड अपडेट करने को कह रहे हैं। टीकाकरण केवल एक बार का कार्य नहीं है कृ यह एक सतत प्रक्रिया है जिसे हमें स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से बनाए रखना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को स्कूल शुरू करने से पहले पूरी सुरक्षा प्राप्त हो। यही उन्हें सुरक्षित रखने और सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य बनाने का सबसे प्रभावी तरीका है।
स्कूल में प्रवेश पर हर बच्चे को सुरक्षा दें, 4-6 वर्ष की उम्र में बूस्टर डोज को प्राथमिकता दें: डॉ. अनुज रस्तोगी
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