मेरठ 05 दिसंबर (प्र)। हथियार का लाइसेंस पहले से ही प्रतिष्ठा से संबंधित रहा है। लाइसेंस बनवाने के लिए हमेशा लोगों की कतार रहती है। पिछले कुछ वर्षों से नए लाइसेंस बनाने से जिला प्रशासन के अधिकारी कतरा रहे हैं। जिसके चलते अब नया लाइसेंस बनवा पाना भी आसान नहीं रह गया है। लंबी जद्दोजहद के बाद जांच पूरी कराकर भेजे गए आवेदनों में से 101 को एसएसपी ने जिला प्रशासन को वापस भेज दिया है। कहना है कि उनकी पुलिस जांच की छह महीने की समय सीमा समाप्त हो गई है। जिला प्रशासन ने उक्त सभी को नए सिरे से जांच के लिए संबंधित थानों में भेज दिया है। आवेदनकर्ताओं को अब फिर से जांच कराने के लिए जुझना होगा।
हथियार का नया लाइसेंस बनवाना पिछले कुछ वर्षों से आसान नहीं रह गया है। अब लाइसेंस कुछ खास लोगों के ही बन पाते हैं। हालांकि इसके लिए जिला प्रशासन के पास कोई न तो कोई तर्क है और न ही शासन का आदेश । लेकिन नए लाइसेंस बनाने में सख्ती की जा रही है। यही कारण है कि लाइसेंस बनवाने की लाइन में लगे लोग तहसील और पुलिस दोनों स्तर से जांच पूरी कराकर जिला प्रशासन के पास तक पहुंचाने में जी जान लगा देते हैं।
45 शहर के और 56 ग्रामीण क्षेत्र के आवेदन जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक जनपद में कुल लाइसेंस की संख्या 21,500 से ज्यादा है। जबकि नए आवेदनों की संख्या हर समय औसतन 500 से 600 के बीच रहती है। एसएसपी कार्यालय से वापस आए आवेदनों में 45 आवेदन शहरी क्षेत्र हैं। जबकि 56 आवेदन ग्रामीण क्षेत्र के हैं।
एसएसपी कार्यालय से हथियार के 101 आवेदन पत्रों को हाल ही में वापस जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। कहा गया है कि उनकी पुलिस रिपोर्ट की छह महीने की अवधि से अधिक समय हो गया है। अब नए सिरे से पुलिस जांच करानी होगी। जिला प्रशासन ने उक्त आवेदनों को एसपी सिटी तथा एसपी ग्रामीण के माध्यम से संबंधित थानों को भेज दिया है। आवेदनकर्ताओं को एक बार फिर से थाना और पुलिस कार्यालयों के चक्कर लगाकर रिपोर्ट लगवाकर अपने आवेदन को एसएसपी आफिस तक पहुंचना होगा।
एडीएम सिटी बृजेश सिंह का कहना है कि यह सतत प्रक्रिया है। पुलिस जांच रिपोर्ट की अवधि छह महीने होती है। यह अवधि बीतने पर नए सिरे से जांच कराई जाती है। सभी आवेदनों को संबंधित थानों में वापस भेजा जा रहा है। ,