मेरठ 12 मार्च (प्र)। शहर काजी पद को लेकर अब विवाद गहरा गया है । शहरकाजी जैनुस साजिदीन के इंतकाल के बाद जिम्मेदार लोगों ने सोमवार को उनके पुत्र डा. सालिककीन को शहर काजी घोषित करते हुए पगड़ी पहनाई थी और मंगलवार को दिन में उलमा ने उनके सिर पर हाथ रखकर दुआ भी की थी। लेकिन, मंगलवार रात हापुड रोड स्थित फेमस प्लाजा में हुए ताजियती जलसे (शोकसभा) में मौजूद लोगों ने कारी शफीकुर्रहमान के सिर पगड़ी बांधी और सर्वसम्मति से शहर काजी बनाने की घोषणा कर दी। यह जलसा शहरकाजी जैनुस साजिदीन को श्रद्धाजंलि देने के लिए आयोजित किया गया था। इस तरह अब शहर में दो शहर काजी हो गए है। इस बाबत नायब शहर काजी जैनर राशिदीन का कहना है कि सोमवार को जब जामा मस्जिद में शहर के समाज के जिम्मेदार लोग और उलमा ने सर्वसम्मति से डा. सालिककेन को शहर काजी बनाने की घोषणा कर दी तो फिर इस तरह की बैठक का कोई औचित्य नहीं है। यह समाज में झगड़े का कारण बनेगा।
फेमस प्लाजा में मौलाना कारी शफीकुर्रहमान कासमी की अध्यक्षता में ताजियती जलसे का आयोजन हुआ। कारी शफीकुर्रहमान ने शहर काजी जैनुस साजिदीन के इंतकाल पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह नेक और पढ़े लिखे इंसान थे उनका इस दुनिया से अचानक रुखसत हो जाना मेरठ वासियों के लिये एक बड़ा नुकसान हैं। उनके संबोधन के बाद जलसे में मौजूद लोगों ने मौलाना कारी शफीकुर्रहमान कासमी को शहरकाजी बनाने का ऐलान किया। मुल्ला इरफान कुरैशी पूर्व पार्षद, नदीम मलिक अध्यक्ष मुस्लिम तेल्ली समाज, इमरान त्यागी समाज, चौधरी गुलशेर सदर धोबी समाज, कुंवर रईस, अल्वी बिरादरी के अध्यक्ष अतीक अहमद अल्वी समेत कई लोगों ने मौलाना कारी शफीकुर्रहमान कासमी को पगड़ी बांधी। हाजी गुफरान अल्वी, हाजी आसिफ गाजी, सैफी बिरादरी के हसीन सैफी, रईस सैफी मौजूद रहे।
कारी शफीकुर्रहमान ने बांधी थी शहर काजी जैनुस साजिदीन को पगड़ी
कारी शफीकुर्रहमान ने बताया कि 1991 में उन्होंने स्वयं जैनुस साजिदीन के पगड़ी बांध कर तब शहर काजी बनने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि शहर के मुसलमानों ने जो जिम्मेदारी दी है वह पूरी शिद्दत से निभाने का प्रयास करेंगे। उनकी प्राथमिकता है कि शहर में अमन और सौहार्द कायम रहे। बताते चलें कि मौलाना कारी शफीकुर्रहमान ने दारुल उलूम देवबंद से 1969 मौलवियत की डिग्री हासिल की। 1982 में जामा मस्जिद रमजान में कुरान सुनाया और तकरीर शुरू की थी वह परंपरा जारी है। शाही ईदगाह मेरठ में 1990 में तकरीर शुरू की, उस समय से आज तक वह तकरीर कर रहे हैं।
ये जताया कासमी ने विरोध
सोमवार को डा. सालिककीन को शहर काजी बनाने का कारी शफीकुर्रहमान ने विरोध किया था। उनका कहना था कि डा. सालिककीन के पास कुरान पढ़ाने और शरियत की जानकारी संबंधी कोई पात्रता नहीं है। न वह हाफिज न कारी। ऐसे लड़के के हाथ में शहर के मुसलमानों की सरपरस्ती का जिम्मा नहीं दिया जा सकता है। चंद लोग उनका चुनाव कर लें और पगड़ी पहना दें यह बर्दाश्त नहीं होगा। यह मजाक नहीं है ।
ईद की नमाज कौन पढ़ाएगा इसको लेकर उठे सवाल
शहरकाजी का मुख्य दायित्वों में एक शाही ईदगाह में ईद की नमाज अदा कराना है। ऐसे में अगर शहर में दो दो शहर काजी हैं तो ईद की नमाज कौन अदा कराएगा इसको लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं। कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि ईदगाह कमेटी जिसे चाहेगी वह नमाज अदा कराएगा। डा. सालिककीन से भी इस बाबत बातचीत हुई तो उनका कहना था कि सोमवार को उलेमाओं व जिम्मेदार लोगों के निर्णय के बाद वह शहर काजी बने है। ऐसे में कहां क्या हुआ, इस बारे में वह कुछ नही कहेंगे।
वहीं शाही ईदगाह के मुतवल्ली सैय्यद सलमान सब्जवारी ने कहा कि इस मामले में वह अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। बुधवार को कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी। समाज के जानकारों की माने तो मेरठ में मौजूदा शहर काजी डा. सालिककीन देवबंदी विचारधारा के है। कारी शफीकुर्रहमान दारुल उलूम देवबंद से पढ़े है। ऐसे में विवाद की स्थिति में इस मामले में दारुल उलूम देवबंद से राय मांगी जा सकती है।