मेरठ 27 मई (प्र)। तारीख पर तारीख… अमूमन अदालत का नाम सुनते ही यह जुमला याद आ जाता है, पर एसएसपी ने अपने आफिस में आने वाले पीड़ितों को इस जुमले से दूर रखने का पहला कदम उठाया था। इसके लिए पुलिस लाइन में फीडबैक सेल का गठन कर स्पष्ट किया था कि शिकायत मिलने पर दारोगा खुद पीड़ित से बात करेंगे। उसके पास जाकर समस्या सुनेंगे। एसएसपी की समीक्षा में सामने आया कि 25 प्रतिशत दारोगा ने आदेश को दरकिनार कर दिया, यानि 70 दरोगा ने पीड़ितों से बात ही नहीं की। ऐसे सभी दारोगा को नोटिस देकर शुक्रवार की परेड में बुलाने के साथ ही स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
पुलिस आफिस में रोज 150-200 शिकायत पत्र आते हैं। सोमवार को यह संख्या और बढ़ जाती है। एसएसपी डा. विपिन ताडा पीड़ितों की खुद सुनवाई करते हैं। जिन मामलों में जांच की आवश्यकता होती है, वह उन्हें संबंधित थाने को भेज देते हैं और फरियादी को पीली पर्ची दी जाती है। ज्यादातर शिकायत पत्र थाने अथवा विवेचक की फाइल में दबकर रह जाते हैं। हाल ही में एसएसपी को शिकायत मिली कि थाना स्तर पर सुनवाई में लापरवाही बरती जा रही है। उन्होंने संज्ञान लिया और शिकायत निस्तारण का नया फार्मूला तैयार कर दिया। उन्होंने श्फीडबैक सेलश् का गठन कर दिया। सेल द्वारा हर प्रार्थना पत्र की निगरानी की जाएगी। एसएसपी रोजाना रिपोर्ट ले रहे हैं। शिकायत दो प्लेटफार्म तक पहुंचेगी। पहला प्लेटफार्म थाना प्रभारी और दूसरा सर्किल प्रभारी का है। थाना प्रभारी शिकायतों की जांच में दारोगा को जिम्मा देते हैं। एसएसपी की समीक्षा में सामने आया कि 25 प्रतिशत दारोगा अपना काम ही नहीं कर रहे हैं। ऐसे 70 दारोगा की सूची तैयार की गई है।
चार माह में 8458 प्रार्थना पत्र
माह संख्या
जनवरी 2062
फरवरी 1987
मार्च 1945
अप्रैल 2464
सेल ऐसे करेगी काम
श्फीडबैक सेलश् 24 घंटे बाद शिकायकर्ता से फोन पर संपर्क साधेगी। सुनिश्चित करेगी क्या थाना पुलिस – विवेचक ने पीड़ित से संपर्क साधा। यहां से निगरानी शुरू होगी और निस्तारण तक जारी रहेगी। रिपोर्ट में यह भी लिखा जाएगा कि पीड़ित शिकायत निस्तारण से संतुष्ट है अथवा नहीं? कौन – कौन दारोगा उनकी शिकायतों का निस्तारण कर रहे है। उनका रिकार्ड भी बनाया जा रहा है।
एसएसपी डा. विपिन ताडा का कहना है कि पुलिस लाइन में फीडबैक सेल बना दी गई है। जल्द यहां स्टाफ की तैनाती होगी। 24 घंटे के भीतर ही थाना पुलिस को शिकायत का संज्ञान लेने के आदेश दिए हैं। 75 प्रतिशत दारोगा ने पीड़ितों से बात करनी शुरू कर दी है। आदेश न मानने वाले दारोगाओं को शुक्रवार की परेड में बुलाने के साथ ही स्पष्टीकरण मांगा गया है।