मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संजय कुमार मीणा जैसा पढ़ने सुनने को मिल रहा है नियुक्ति के दिन से ही शहर का विकास चौराहों का सौंदर्यीकरण के साथ ही बिल्डरों को बुलाकर सरकारी योजनाओं के बारे में बताने का काम तेजी से कर रहे हैं। लेकिन जहां तक इस बारे में बैठकों की खबरों से स्पष्ट हो रहा है कि सहयोगी अधिकारी पूर्व में क्या क्या हुआ और कितने चौराहों के सौंदर्यीकरण हुए और शहर के विकास में कौन बिल्डर अपनी सही भूमिका निभा सकते हैं। अगर ऐसा होता तो सबसे पहले जिन चौराहों के सौंदर्यीकरण की बात हो रही है कमिश्नरी आवास, बच्चा पार्क, तेजगढ़ी हापुड़ अडडा चौराहा का कब कब विकास हुआ और उस पर कितना खर्च आया और वर्तमान में दोबारा से सौंदर्यीकरण की क्यों जरूरत पड़ गई यह नहीं बताया गया। ना ही शायद उन्हें यह बताने की आवश्यकता जेई एई ने समझी कि सीएम की भावनाओं से जुड़ी योजनाओं के विकास में कौन बिल्डर भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि अगर ऐसा होता तो बीते दिनों जो बैठक शहर के तेजी से विकास और सरकारी योजनाओं को समय से लागू करने के लिए बिल्डरों की बुलाई गई उनमें कुछ बिल्डर ऐसे भी नजर आए जो आज तक अवैध कॉलोनियां बसाने, निर्माण को बढ़ावा देने के साथ ही धोखाधड़ी और सरकारी जमीन घेरने के लिए चर्चाओं में रहे। वो बैठक में मौजूद नहीं होते क्योंकि नियम कानून व निर्माण नीति हमेशा लागू रही है लेकिन बैठक में आ रहे इन चेहरों ने उसकी चिंता ना कर नियम विरूद्ध निर्माण करने और कॉलोनी बसाने में भूमिका निभाई। चौराहों की बात करें तो मंडलायुक्त आवास के पास का चौराहे का सौंदर्यीकरण हुआ है और तेजगढ़ी बच्चा पार्क हापुड़ अडडा का पहले कई बार सौंदर्यीकरण व चौड़ीकरण पूर्व में हो चुका है। इतनी जल्दी फिर से इसकी क्या जरूरत पड़ गई। अगर सौंदर्यीकरण करना ही है तो शहर की सड़कों में सुधार कर उन्हें गडढा मुक्त करने के अलावा घंटाघर जैसे कुछ ऐसे चौराहे हैं जिनका सौंदर्यीकरण होना चाहिए। ऐसे ही शहर के तिराहों पर आवश्यकता महसूस की जाती रही है। फिलहाल तो आयुक्त ने इन चौराहों के प्रस्तुतिकरण से असंतोष व्यक्त करते हुए खबरों के अनुसार प्रस्तुतिकरण करने वालों को फटकार लगाई और मौके पर जाकर सत्यापन के निर्देश दिए। सिटी डेवलपमेंट प्लान के दस में से नौ प्रस्ताव इंटीग्रेटिड योजना में शामिल करने के बाद फाइल ही बंद कर दी गई।
पूर्व में घोषित योजनाओं का क्या हुआ
मंडलायुक्त और अन्य अधिकारी शहर के विकास सौंदर्यीकरण और सरकारी कार्यों को अंजाम देने की सोच रहे हैं यह अच्छी बात है लेकिन वाहनों की आवाजाही के लिए अनुकूलित मोड सर्किंल बनाए जाने सुरक्षा यातायात दक्षता बढ़ाने के लिए जोखिम क्षेत्र को खत्म करने यात्रा सुरक्षा के लिए पैदल यात्री क्रांसिंग बनाने पानी निकासी के बारे में सोच रहे हैं। इसके लिए अफसरों की प्रशंसा की जानी चाहिए। लेकिन इससे पहले प्रस्तावित चौराहोें का पूर्व में कब काम हुआ और कितना खर्च आया इसकी जानकारी करने के साथ आयुक्त जी पूर्व में जो पैदल पथ विक्टोरिया पार्क में बनाए गए थे उनकी क्या स्थिति है इसका भी अवलोकन किया जाना चाहिए। वरना पैदल पथ के नाम पर धन खर्च होता रहेगा लेकिन उसका लाभ आम आदमी को मिलने की बजाय वहां अतिक्रमण के अलावा कुछ नजर नहीं आएगा।
जाम मुक्त हेतु स्कूलों
जहां तक यातायात सुगम बनाने और नागरिकों को जाम से मुक्ति दिलाने की बात है तो पहले शहर के दीवान सैंट मैरी सोफिया आदि स्कूलों के कारण छुटटी के समय जो जाम लगता है और उसके चलते कई घंटे तक माल रोड और अन्य मार्ग जाम हो जाते है उनमें सुधार के लिए काम किया जाए। इसके लिए स्कूल संचालकों को बाध्य किया जाए कि एक से पांच तक और पांच से दस तक फिर 11 12 क्लास के छात्रों की छुटटी में आधा घंटे का फर्क किया जाए। इनके कारण लगने वाले जाम से मुक्ति दिलाने हेतु क्योंकि मोटी फीस लेकर तो स्कूल संचालक अपना बैंक बैलेंस बढ़ा रहे हैं। ना तो अभिभावकों के बैठने के लिए व्यवस्था की जाती और ना पार्किग। ऐसे में जब तक पीएम की भ्रष्टाचार मुक्त नीति के तहत योजना बनाकर बिल्डरों को बढ़ावा दिया जाएगा तभी यह सब योजनाएं पूर्ण हो सकती है वरना आए दिन चौराहों के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च होते रहेंगे और कुछ दिनों में वह विकास कहां चला जाता है इसकी पता करने की जरूरत है।
अधिकारी जनता से समस्या जानें
मंडलायुक्त जी, डीएम, मेडा वीसी, नगरायुक्त जी आम नागरिक का मानना है कि जब शहर के विस्तार विकास सौंदर्यीकरण जाम से मुक्ति की योजनाएं बनाई जाएं उससे पहले अफसर पार्षदों सामाजिक संगठनों को भी सांसद विधायक एमएलसी राज्यसभा सांसद को बुलाकर विचार हो और क्या काम होगा और कितना खर्च होगा यह तय होगा तो यह बात विश्वास से कही जा सकती है पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी की पर्यावरण और हरियाली और गडढा मुक्त सड़क और जलभराव की समस्याओं का निस्तारण हो सकता है वरना सरकार बजट देती रहेगी और कुछ अधिकारी उसे खर्च करते रहेंगे और फिर से योजना बनेंगी और जैसा शहर जलभराव और गंदगी झेलता रहेगा। अफसर आएंगे और कार्यकाल पूरा कर जाते रहेंगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी की योजना के तहत हो कार्य! चौराहों का सौंदर्यीकरण जाम से मुक्ति की योजना गडढा मुक्त सड़क के प्रस्ताव पूर्व में कब पास हुए थे यह देखने के साथ ही सुनियोजित विकास और अवैध निर्माण रोकने के लिए ईमानदार बिल्डरों को दिया जाए बढ़ावा, जाम से मुक्ति हेतु स्कूलों के लिए बने नीति
Share.
