मेरठ 02 अगस्त (प्र)। मेरठ हापुड़ लोकसभा सांसद अरुण गोविल ने शुक्रवार को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर भारत के खेल उत्पाद विनिर्माण क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और इसके सामने आ रही चुनौतियों के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि मेरठ में खेल से जुड़े 20 हजार से अधिक उद्योग हैं और कुल उद्योगों की संख्या करीब एक लाख हो चुकी है। सांसद अरुण गोविल ने कहा कि वर्तमान स्थिति में उद्योग विस्तार के लिए नियमों में संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नियमों के संशोधन के उपरांत मेरठ शहर का खेल उद्योग निश्चित रूप से विश्व पटल पर अपना परचम लहरा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चिंता का विषय है कि स्थानीय नौतियों में बदलाव के बावजूद, भारत क्रिकेट बल्ले जैसे महत्वपूर्ण खेल उत्पादों के बाजार में अभी भी पिछड़ा हुआ है, जबकि पाकिस्तान इस क्षेत्र में काफी आगे है।
सांसद अरुण गोविल ने कहा कि कश्मीरी विलो के भरोसे 90 प्रतिशत बल्ला बाजार पर पाकिस्तान काबिज है। इसका एक प्रमुख कारण कश्मीरी विलो कानून है अनुच्छेद 370 हटने के बावजूद, जम्मू और कश्मीर विलो अधिनियम, 2000 अभी भी लागू है, जो कश्मीर के बाहर आवागमन पर प्रतिबंध लगाता है। इससे मेरठ जैसे प्रमुख खेल विनिर्माण केंद्रों को कश्मीरी विलो की उपलब्धता में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सांसद अरुण गोविल ने कहा कि विलो पर लगे प्रतिबंधों को हटाना और इसकी पूरे देश में निर्वाध आपूर्ति सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, बल्ला बनाने के लिए इंग्लिश विलो विदेशों से आयात करना पड़ रहा है, जो उत्पादन लागत बढ़ाता है और आत्मनिर्भरता में बाधक है।
सांसद अरुण गोविल ने कहा कि भारत अभी भी कुछ विशिष्ट खेल सामग्री के निर्माण में तकनीकी रूप से पिछड़ा हुआ है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। तकनीकी हस्तांतरण और संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर्स) को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक साझेदारियों की आवश्यकता है। सांसद अरुण गोविल ने कहा कि फीफा, फीबा, आईबीए जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकायों से मान्यता प्राप्त करने की लागत काफी अधिक होती है। पहले इस पर 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती थी, जो अब बंद हो चुकी है। इससे छोटे और मंझले निर्यातक संकट में हैं। सांसद अरुण गोविल ने कहा कि उद्योग विस्तार के लिए विश्व पटल पर 2036 खेल उद्योग को स्थापित करना है, तो हमें नई टेक्नोलॉजी की भी आवश्यकता है।
