कारण गंदगी हो या वायु प्रदूषण अथवा कुछ और इस बात से तो कुछ इनकार नहीं किया जा सकता कि देश में बीमारियों के इलाज और दवाओं की कीमत के बोझ से आम आदमी दबता ही जा रहा है। यह स्थिति भी तब है जब कई सरकारी योजनाएं निशुल्क व सस्ती चलाई जा रही हैं और लोग बीमा योजना के दम पर इलाज करा लेते हैं। देश में शहरों के मुकाबले गांवों में भी इलाज का खर्च काफी बढ़ा हुआ है। मानसिक हृदय कैंसर की दवाओं की कीमत तो आसमान छू रही है। इलाज कराना जरूरी है इसलिए इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। सबकुछ होने के बाद भी हम स्वाभिमानी और कठिनाई आने पर एकजुट होने में देर नहीं लगाते। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा निरंतर बढ़ाए जा रहे करों को लेकर चर्चा हो रही है। ज्यादातर देश भारत के समर्थन की बात करते हैं। अब जो यह खबर पढ़ने को मिल रही है वो दवाओं पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहे है। एक बार को तो इससे भारतीय दवा कंपनियों को भी झटका लगना पक्का है लेकिन सरकार जितना धन खर्च कर रही है उससे प्रदूषण के लिए सुधार व्यवस्था में कमी के लिए सफाई तेज कर दे तो बीमारियां कम होंगी और काफी प्रतिशत जेनेरिक दवाओं का सहारा रहेगा। फिर भी कुछ दबाव पड़ता है तो सब मिलकर उसका समाधान ढूंढेंगे लेकिन सरकार को किसी के भी दबाव में नहीं आना चाहिए। इस टैरिफ वार के चक्कर में अन्य देशों से संबंध बढ़ाने हैं तो अपनी शर्ताे पर हो क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है और कुछ देश जो हमसे ३६ का आंकड़ा रखते हैं अगर सरकार उनसे सशर्त समझौता करती है तो उनके उत्पादों की खपत हमारे यहां बढ़ेंगी इससे कई समस्याओं का समाधान होगा और ट्रंप टैरिफ लगाते रह जाएंगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ के दबाव में सरकार को नहीं आना चाहिए, सफाई पर दिया जाए ध्यान, बाकी जनता सरकार के साथ है
Share.
