मेरठ 04 सितंबर (प्र)। मेरठ पुलिस लाइन पी पाकेट के जर्जर मकानों की जगह हाईराइज बिल्डिंग लेगी। इन मकानों को तोड़कर यहां हाईराइज बिल्डिंग बनवाये जाने की तैयारी है, जिसके प्रस्ताव पर काम शुरू हो गया है। चार दिन पहले जर्जर घर की छत गिरने के बाद अफसर गंभीर हैं। वह चाहते हैं कि इसकी पुनरावृत्ति ना हो। उनकी जो सोच है उसके अनुसार, आने वाले समय में पुलिस लाइन के सालों पुराने इन जर्जर मकानों के स्थान पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हाईराइज बिल्डिंग दिखेंगी।
अत्याधिक बरसात के चलते 31 अगस्त की देर शाम पुलिस लाइन के पी-पॉकेट स्थित मकान संख्या 16 का लिंटर भरभराकर नीचे आ गया। यह मकान पुलिस विभाग में टेलर ओमकार का था, जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहते चले आ रहे थे। लिंटर के मलबे में पूरा परिवार दब गया। जैसे तैसे लोगों ने सभी को बाहर निकाला और अस्पताल भिजवाया। इस हादसे में ओमकार, उनकी पत्नी सुमन और छोटे बेटे आकाश को गंभीर चोट आई जिनका फिलहाल अस्पताल में उपचार चल रहा है।
हादसे के बाद एडीजी जोन भानु भास्कर और डीआईजी रेंज कलानिधि नैथानी ने पुलिस लाइन का निरीक्षण किया। जर्जर मकानों की स्थिति देख दोनों अफसरों ने खासी नाराजगी जताई। इंजीनियरों से निरीक्षण कराया तो पता चला कि पी-पॉकेट का कोई भी मकान रहने लायक नहीं है। तत्काल यहां रहने वाले परिवारों को शिफ्ट करने के आदेश दिए गए। बुधवार तक 40 परिवारों को यहां से सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया। सभी को पहले से तैयार हाईराइज टॉवर में शिफ्ट किया गया है।
डीआईजी कलानिधि नैथानी के कार्यालय से पुलिस लाइन के मकानों को लेकर तकरीबन पांच से सात बार पत्राचार किया गया लेकिन मामला फाइलों में दबकर रह गया। अब जब यह हादसा हुआ है तो डीआईजी गंभीर हो गए हैं। उन्होंने पुलिस लाइन के हादसे वाले स्थान का निरीक्षण किया और नये सिरे से मकान तैयार करने को लेकर चर्चा भी की। इसी चर्चा के दौरान पी पॉकेट के मकानों के स्थान पर शासन की मंशा के अनुरूप हाईराइज बिल्डिंग तैयार करने का फैसला लिया गया है।
डीआईजी कलानिधि नैथानी के सामने कई तरह की शिकायत पहुंची है। पूर्व में निर्मित चार हाईराइज बिल्डिंग के फ्लैटों के आवंटन का मामला भी डीआईजी के समक्ष पहुंच चुका है। इसके अलावा सालों से नियम विरूद्ध पुलिस क्वार्टर में रह रहे पुलिसकर्मियों की शिकायत भी हुई, जिसके बाद एसपी लाइन राघवेंद्र कुमार मिश्रा व प्रतिसार निरीक्षक हरपाल सिंह से ऐसे पुलिसकर्मियों का विवरण डीआईजी ने तलब किया है। ताकि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ ही जुर्माने की कार्रवाई भी हो सके।
नवनिर्मित चार हाईराइज बिल्डिंगों को छोड़ दें तो पुलिस लाइन में 800 क्वार्टरों में पुलिस परिवार सालों से रहते आ रहे हैं। इनकी कई श्रेणियां निर्धारित हैं। टाइप एक व दो में तकरीबन 700 क्वार्टर हैं। टाइप तीन में लगभग 100 और टाइप चार जोकि अफसरों की श्रेणी है, उसके अंतर्गत 10 क्वार्टर पुलिस लाइन में बने हुए हैं।
