केंद्र और प्रदेश सरकारें असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सुविधा और उनकी कठिनाईयों को समाप्त कराने के लिए कई योजनाएं बना रही हैं। इससे संबंध खबरें पढ़ने सुनने को खूब मिलती हैं।
मेरा श्रमिकों के हित में निर्णय लेने और लागू कराने वाले मंत्रियों व आग्रह है कि जो योजनाएं अभी तक जररूतमंदों के लिए लागू हैं नए नियमों के लागू होने तक उन पर प्रभावी रूप से काम कराएं। बताते चलें कि केंद्र व प्रदेश सरकारों ने भवन निर्माण में लगे मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए यह व्यवस्था बनाई कि जितने भी निर्माण कार्य हैं उन पर आने वाली लागत का कुछ हिस्सा इन पर खर्च करने के लिए श्रम विभाग को उपलब्ध कराने का नियम बनाया है लेकिन यह ताज्जुब की बात है कि जिन भवनों का मानचित्र पास होता है और जितना निर्माण और खर्च दर्शाया जाता है उसका हिस्सा तो श्रम विभाग के अधिकारी ले लेते हेैं या प्राधिकरण या आवास विकास द्वारा दे दिया जाता है। लेकिन यह ताज्जुब की बात है कि मजदूर हित में आंदोलन कराने वालों के साथ ही वो अधिकारी जो इनके नाम पर मोटी तनख्वाह लेते हैं बनने वाली कच्ची कॉलोनियों का निरीक्षण नहीं करते हैं और जो मानचित्र पास होते हैं उनके निर्माणकर्ता कई गुना जमीन घेरकर कॉम्पलैक्स मकान बना लेते हैं उनका भी मुआयना कर बकाया वसूलने और मजदूरों को दो समय की रोटी भी उपलब्ध कराने के प्रयास नहीं कर रहे। मेरा श्रम विभाग के अधिकारियों मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से अनुरोध है कि विकास में रीढ़ की हडडी की भूमिका निभाने वाले मजदूरों की खुशहाली के लिए भवन निर्माणकर्ताओं से वसूली कर इन्हें उपलब्ध कराएं तय और प्राधिकरण आवास विकास और श्रम विभाग के अफसरों को भी मजबूर किया जाए लेकिन भोजन और आवास उपलब्ध कराने का पीएम और सीएम का सपना साकार करने के लिए सक्रिय होकर काम करें
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के हितों के लिए सक्रिय है सरकार, निर्माण कार्य में लगे मेहनतकशों को उनका अधिकार दिलाने के लिए श्रम विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधि करें काम; मकान का कुछ प्रतिशत मिलने से होगा सुधार
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