Tuesday, October 14

आत्मा में रमण करना ही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म हैः पंडित सिद्धांत जी शास्त्री

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मेरठ 0६ सितंबर (प्र)। 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस में दिगंबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व के अंतिम दिन शनिवार को असौड़ा हाउस दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने श्रद्धा व भक्ति पूर्वक उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने प्रातरूभगवान का अभिषेक व नित्य नियम पूजा की। अनंत चतुर्दशी पर मंदिर में विराजमान भगवान आदिनाथ भगवान शांतिनाथ भगवान मुनिसुब्रतनाथ भगवान पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का अभिषेक किया गया। इस दौरान शांतिधारा करने का सौभाग्य भूषण जैन नितिन जैन शाश्वत जैन नवीन जैन कमल जैन विनोद जैन कपिल जैन को मिला। अंनत चतुर्दशी को बारहवें तीर्थं कर भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक निर्वाण लाडू चढ़ाकर मनाया गया। जिसमें 12 किलो का निर्वाण लाडू समर्पित करने का सौभाग्य रमेश चंद जैन दयांचल परिवार को प्राप्त हुआ उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा के दौरान शास्त्री जी ने कहा कि मनुष्य को संसार में रहते हुए भी ब्रह्म (आत्मा) में रमण करना उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है। शास्त्री जी ने कहा कि आत्मा से अच्छा संसार में कुछ नहीं है। इधर -उधर की बातें छोड़ते हुए अपनी आत्मा में लीन रहते हुए अपना स्वयं का कल्याण करना चाहिए। आत्मा अजर है अमर है अविनाशी है। आत्मा और शरीर घी और छाछ के समान है यदि आपके हाथ में घी है और छाछ है और आप गिर रहे हैं तो सबसे पहले घी को बचाएंगे छाछ छूट भी जाए तो चलेगा।इसी प्रकार जन्म तो कई होते हैं लेकिन अपनी आत्मा को कभी खराब नहीं करना चाहिए। आत्मा में लीन रहते हुए अपने जन्म को सार्थक बनाना चाहिए। मंदिर परिसर में विनोद जैन कपिल जैन रमेश जैन संजय जैन मनोज जैन अमित जैन राज पीयूष शोभाजन पूनम जैन सारिका जैन कविता जैन शशि जैन सुरभि जैन रचित जैन आदि उपस्थित रहे।

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