Wednesday, November 12

एक से 19 दिसंबर तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र

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नई दिल्ली 08 नवंबर। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के शीतकालीन सत्र बुलाने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 19 दिसंबर 2025 तक चलेगा।

रिजिजू ने एक्स पर पोस्ट के जरिए बताया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के शीतकालीन सत्र के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने आगे लिखा है कि उन्हें शीतकालीन सत्र के रचनात्मक और सार्थक होने की आशा है. उन्होंने कहा कि जो हमारे लोकतंत्र को मजबूत करेगा और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा.

छोटा होगा सत्र
संसद का ये सत्र अन्य सत्रों के मुकाबले छोटा होगा. इस सत्र में बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों का दिखेगा. देश के 12 राज्यों और यूटी में चल रहे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान एसआईआर के दूसरे चरण को लेकर विपक्ष का विरोध दिख सकता है. इसके अलावा मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर भी विपक्ष साध सकता है निशाना.

सरकार अहम बिल पास कराने का करेगी प्रयास
संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण बिल पारित कराने का करेगी प्रयास. इनमें संविधान में 129वां, 130वां संशोधन बिल, जन विश्वास बिल, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बिल आदि शामिल हैं. इससे पहले 2013 में छोटा शीतकालीन सत्र हुआ था. पांच दिसंबर से 18 दिसंबर तक केवल 14 दिन चले इस सत्र में 11 बैठकें ही हुईं थीं.

मानसून सत्र में बर्बाद हुए थे 166 घंटे
इससे पहले संसद का मानसून सत्र 21 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। मानसून सत्र में एसआईआर पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के 166 घंटे बर्बाद हो गए थे। इससे जनता के टैक्स के करीब 248 करोड़ रुपये डूब गए। विशेष चर्चा के बाद ऑपरेशन सिंदूर मामले में टकराव टला, मगर एसआईआर को लेकर सियासी संग्राम अंतिम दिन तक जारी रहा। हंगामे के कारण लोकसभा के 84.5 घंटे, जबकि उच्च सदन राज्यसभा के 81.12 घंटे बर्बाद हो गए। राज्यसभा की कार्यवाही 38.88 घंटे ही चल सकी।

किसी भी सदन की एक मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं। यानी एक घंटे का खर्च लगभग 1.5 करोड़ रुपये बैठता है। इससे लोकसभा में कार्यवाही न चलने से 126 करोड़ रुपये और राज्यसभा में करीब 122 करोड़ बर्बाद हुए। हालांकि, अंतिम नौ कार्य दिवसों में ताबड़तोड़ विधायी कामकाज निपटाए गए। राज्यसभा में 15 तो लोकसभा में 12 विधेयक पारित किए गए।

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