Friday, November 21

शहर के 131 जर्जर स्कूल गिरेंगे, नीलामी के बाद बनेंगे नए भवन

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मेरठ 20 नवंबर (प्र)। जिले में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति पर की गई व्यापक जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जिले के पढ़ाई बंद नहीं होगी, बच्चों के लिए वैकल्पिक भवन तैयार 1068 विद्यालयों में से 131 स्कूल जर्जर हालत में पाए गए हैं, जिनका अब ध्वस्तीकरण कर नया निर्माण किया जाएगा। यह कार्रवाई प्रदेश सरकार के आदेश पर शुरू की गई है। शिक्षा विभाग इन जर्जर भवनों को पहले नीलाम करेगा। इसके बाद तय प्रक्रिया के अनुसार इन्हें गिराकर नए भवन तैयार किए जाएंगे।

बेसिक शिक्षा विभाग ने जिन स्कूलों को जर्जर घोषित किया है, वे वर्ष 1935 से 2008 के बीच बने थे। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और बेसिक शिक्षा विभाग की संयुक्त टीम ने इन भवनों की तकनीकी जांच की। टीम ने उम्र, ढांचे की स्थिति और संभावित जोखिम को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की। जिन भवनों की शेष उम्र तीन से पांच साल पाई गई, उन्हें तुरंत ध्वस्तीकरण सूची में शामिल किया गया है।

सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई रुकनी नहीं चाहिए। इसलिए इन 131 विद्यालयों के ध्वस्तीकरण के दौरान धर्मशाला, ग्राम पंचायत भवन, ग्राम सचिवालय तथा अन्य उपलब्ध स्थलों में बच्चों के लिए अस्थायी कक्षाएं चलेंगी। सीडीओ नूपुर गोयल ने बताया कि जर्जर भवनों को चिह्नित करने के लिए एलडीए और पीडब्ल्यूडी के अनुभवी इंजीनियरों की टीम ने सभी विद्यालयों का निरीक्षण किया था। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि नए भवन आधुनिक सुविधाओं के साथ मजबूत एवं सुरक्षित रूप से तैयार हों जिला प्रशासन जनप्रतिनिधियों तथा ग्राम प्रधानों की मदद से विद्यालयों के सौंदर्यीकरण तक की योजना पर काम कर रहा है।

प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों की तस्वीर बदलेगी
सरकार की मंशा है कि सभी बच्चों को सुरक्षित वातावरण में शिक्षा मिले। इसलिए न केवल भवन नए बनाए जाएंगे, बल्कि कक्षाओं, पेयजल, शौचालयों, रेप तथा बिजली व्यवस्था को भी पूरी तरह मानकों के अनुसार तैयार किया जाएगा। इस बड़े अभियान से उम्मीद है कि जिले के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की तस्वीर बदल जाएगी।

अंग्रेजी शासनकाल के तीन स्कूल भी ध्वस्त होंगे
जांच में तीन ऐसे विद्यालय मिले जो अंग्रेजी शासनकाल के दौर में बनाए गए थे और अब पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। जानिए कौन- कौन से हैं…
1935 में दौराला में बना उच्च प्राथमिक विद्यालय।
1940 में सराय बहलीम का प्राथमिक विद्यालय।
1940 में फाजलपुर का उच्च प्राथमिक विद्यालय
इन सभी भवनों को तोड़कर आधुनिक सुविधाओं से युक्त नए विद्यालय बनाए जाएंगे। प्रशासन का मानना है कि पुराने ढांचे बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं, इसलिए ध्वस्तीकरण जरूरी है।

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