मेरठ 08 दिसंबर (प्र)। असोड़ा हाउस स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में उपाध्याय रत्न 108 श्री वृषभानंद मुनिराज पंजाबी पूरा जैन मंदिर से असोड़ा हाउस मंदिर में दोपहर को विहार कर- के पधारे। जिसमें पंजाबी पुरा से रेलवे रोड चौराहा, घंटाघर, पीएल शर्मा सरकारी अस्पताल से फिल्मीस्तान बच्चा पार्क चौराहा होते हुए आर जी डिग्री कॉलेज, कचहरी रोड, असोड़ा हाउस में प्रवेश किया। जहां सभी श्रद्धालुओं द्वारा उपाध्याय श्री वृषभानंद मुनिराज का पादप्रक्षालन किया। मंदिर में प्रवेश कर सभी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर जी में दो अन्य बेदी की स्थापना की जाएं। जिसमें प्रथम बेदी ओम की रहेगी। जिसमें पांच प्रतिमाएं पंच परमेष्ठी की रहेगी एवं द्वितीय बेदी हीम की रहेगी। जिसमें 24 प्रतिमाएं 24 तीर्थंकर भगवान की रहेगी। इस शुभ कार्य में दोनों बेदी स्थापित करने का सौभाग्य नवीन जैन गीता कॉलोनी एवं रमेश चंद जैन तिलक रोड वालों को प्राप्त हुआ ।
इस अवसर पर विनोद जैन, मनोज जैन, कपिल जैन, संजय जैन, जेके जैन, हेमचंद जैन, अशोक जैन, राजीव जैन, विपुल जैन, प्रतीक जैन, अनिल जैन, कुसुम जैन, पूनम जैन, आभा जैन, शालिनी जैन आदि मौजूद रहे।
दिल्ली रोड स्थित रामलीला ग्राउंड को जैन समाज अयोध्यापुरी के रूप में सजाया है। पंच कल्याणक महामहोत्सव के तीसरे दिन पांडुक शिला में श्रीजी का अभिषेक, माता की गोद भराई रस्म संपन्न हुई। श्रीजी को पांडुक शिला पर विराजमान कर विधिविधान से अभिषेक और पूजन किया गया। नियम अनुसार शांतिधारा भी हुई। इस दौरान सभी को प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।
विशिष्ट अतिथि आरएसएस के अखिल भारतीय सह पर्यावरण प्रमुख राकेश कुमार जैन ने वृषभानंद मुनिराज को श्रीफल अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान राकेश जैन ने कहा कि पौधे लगाएं, पानी बचाएं और पॉलिथीन हटाएं।
उन्होंने कहा कि यदि प्रकृति और पर्यावरण बचेगा तो ही मानव जाति भी बचेगी। अब समय आ गया है कि पंच कल्याणक, जन्मदिन या विवाह जैसे अवसरों पर स्मृति के रूप में पौधे भी लगाए जाएं साधु सेवा समिति से वीरेंद्र जैन ने भी पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताया मुनि वृषभानंद ने कहा कि तीर्थंकर के जन्म से पूर्व माता को जो 16 स्वप्न आते हैं। वहां प्रतिदिन 14 करोड़ रत्नों की वर्षा होती है।
उन्होंने युवा पीढ़ी को संस्कार देने, धर्म से जोड़ने और शुद्ध शाकाहारी जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन।
