मेरठ 23 दिसंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। अपने समय में शहनाई को आधुनिकता के साथ राष्ट्रीय अवसरों व शादी विवाहों में समायानुकूल प्रस्तुति देने व जमकर वाह वाही लूटने वाले महेन्द्र धानक की नपीरी की आवाज अब उनके बच्चों के माध्यम से सुनने को मिलेगी। अपने समय के शहर के जाने माने बैंड जयहिन्द और उसके मालिक जगदीश धानक का बड़ा नाम इस क्षेत्र में था। जिसे महेन्द्र धानक ने न्यू जयहिन्द बैंड के रूप में नई ऊंचाईयों को जन्म दिया। बीते दिनों 78 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। गत दिवस स्थानीय सूरजकुंड पर धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार उनके पुत्र पवन धानक ने मुखाग्नि देकर किया। स्थानीय शारदा रोड स्थित उनके आवास से शुरू अंतिम यात्रा में भारी तादाद में प्रशंसक तथा उनकी शहनाई के आषीक रहे संगीत प्रेमी अंतिम यात्रा व दाह संस्कार के दौरान मौजूद रहे। जानेमाने राजनेता चौधरी यशपाल सिंह संपादक पत्रकार रवि कुमार बिश्नोई आरकेबी मीडिया ग्रुप के चेयरमैन सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई कांग्रेस नेता पूर्व पार्षद कृष्ण कुमार किशनी शहर कांग्रेस अध्यक्ष रजंन शर्मा पार्षद राजीव गुप्ता काले प्रशांत कौशिक संदीप अग्रवाल अवनीश काजला अशोक महबूब अली महेन्द्र उपाध्याय खेमचंद पहलवान मनीष शर्मा मनिन्दर वाल्मीकि राजीव शर्मा एडवोकेट आदि द्वारा श्री महेन्द्र धानक को अपनी श्रद्धाजंलि व पुष्पाजंलि दी गई। अपने पीछे दो बेटियां सीमा और उमा तथा पुत्र पवन धानक से भरापूरा परिवार छोड़कर गये महेन्द्र धानक की पहचान मेरठ से लेकर दिल्ली और लखनऊ तक सत्ता के गलियारे तक खूब थी। उन्होंने देश की राष्ट्रपति अनेकों राज्यपालों मुख्मंत्रियों और उच्च अधिकारियों व राजनेताओं की उपस्थिति में अपनी शहनाई के दम पर खूब वाह वाही लूटी। उन्हें झारखंड की राज्यपाल के रूप में वर्तमान राष्ट्रपति द्रोपद्री मुर्मू ने भी सम्मानित किया था। तो यूपी के राज्यपाल रामनाईक ने भी उनकी प्रशंसा की थी। 1975 में न्यू जयहिन्द बैंड बनाने के बाद से वो शास्त्रीय संगीत समिति के संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश बैंड एसोसिएशन के अंतिम समय तक अध्यक्ष रहे। उनका नाम 2022 में यूपी सरकार ने पदम पुरस्कार के लिए भी प्रस्तावित किया था। शास्त्रीय संगीत समिति के सचिव आशुतोष अग्रवाल के अनुसार महेन्द्र धानक जी 1995 से मार्डन शहनाई वादन करते चले आ रहे थे और उन्होंने इसे खूब लोकप्रियता प्रदान की। स्मरण रहे कि महेेन्द्र धानक 26 जनवरी 15 अगस्त 2 अक्टूबर व भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती आदि पर हमेशा अपना शहनाई वादन करते चले आये तथा उनकी इस कला के लिए भले ही उन्हें बड़ा पुरस्कार न मिल पाया हो मगर समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं रहा जहां से उन्हें प्रशंसा प्राप्त न हुई हो। वो सबके प्रिय थे और जब भी नजर आते थे हर कोई यह पूछने से नहीं चूकता था कि भाई महेन्द्र धानक जी कैसे हो परिवार ठीक है यह उनकी लोकप्रियता का आलम था। बताते चले कि 78 वर्ष की उम्र में इलाज के दौरान बीते शनिवार को वो अपनों को छोड़कर परम पिता परमेश्वर के चरणों में चले गये अपनों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के साथ ही परिवार के सदस्यों को यह गहन दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करते हुए हर सुख दुख में उनके साथ रहने का विश्वास दिलाया।
आधुनिक शहनाई के प्रेरणक थे महेन्द्र सिंह धानक, उनके निधन को अपनों ने अपूरणीय क्षति बताया, वो जहां भी धुन छेडते थे वाह वाह और तालियां बजनी शुरू हो जाती थी
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