मेरठ 24 दिसंबर (प्र)। हापुड़ रोड से सटे बिजली बंबा बाईपास पर अब्दुल्ला रेजिडेंसी निजी आवासीय कॉलोनी को लेकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए मांगी गई जानकारी ने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कॉलोनी के स्वीकृत तलपट मानचित्र, भूमि की श्रेणी, सरकारी जमीन की स्थिति और कथित जांच से जुड़ी सूचनाओं के लिए किए गए आवेदन के जवाब में अधिकांश विभागों ने या तो सूचना अपने पास उपलब्ध न होने की बात कही या फिर जिम्मेदारी एक दूसरे पर टाल दी।
आरटीआई कार्यकर्ता एलके खुराना ने सितंबर 2025 में दायर आरटीआई आवेदन को पहले डीएम कार्यालय से होते हुए आवास एवं विकास परिषद भेजा गया। यहां से भी कई बिंदुओं पर जवाब मिला कि संबंधित अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं या सूचना किसी अन्य शाखा से संबंधित है। खास बात यह रही कि कॉलोनी के स्वीकृत नक्शे का क्रमांक और स्वीकृति वर्ष जैसे मूल प्रश्नों पर भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा सकी। आरटीआई के जवाब में यह भी कहा गया कि कॉलोनी से जुड़े कई बिंदु संपत्ति प्रबंधन कार्यालय या अधिशासी अभियंता कार्यालय से संबंधित हैं, जबकि वहां से भी यही दोहराया गया कि अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि वर्षों से विकसित कॉलोनी से जुड़े बुनियादी दस्तावेज आखिर कहां हैं। लोकेश खुराना ने यह भी जानकारी मांगी थी कि क्या कॉलोनी में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद या किसी अन्य सरकारी भूमि का उपयोग हुआ है? इस पर अलग- अलग जवाब सामने आए। निर्माण खंड कार्यालय ने सेक्टर-11, 12 और 13 में परिषद की अतिक्रमित भूमि न होने की बात कही, लेकिन कॉलोनी के भीतर भूमि उपयोग को लेकर स्पष्ट स्थिति सामने नहीं आई।
ऊर्जा राज्य मंत्री के आदेशों का कोई अभिलेख नहीं
सबसे अहम पहलू यह रहा कि ऊर्जा राज्य मंत्री की ओर से कथित जांच आदेश, जांच समिति, उसकी रिपोर्ट और जांच बिंदुओं जैसी सूचनाओं पर भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं या अन्य कार्यालय से संबंधित कहकर जवाब दिया गया। इससे जांच की वास्तविकता पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। आरटीआई से निकली यह तस्वीर बताती है कि शहरी विकास से जुड़े मामलों में विभागीय तालमेल की कमी और रिकॉर्ड प्रबंधन की कमजोर स्थिति आम नागरिक के सूचना के अधिकार को कमजोर कर रही है अब निगाहें इस बात पर हैं कि प्रथम अपील के बाद क्या इन सवालों के ठोस जवाब सामने आ पाते हैं या फिर रिकॉर्ड नहीं की फाइलें ही बोलती रहेंगी।
हाईकोर्ट पहुंचेगा अब्दुल्ला रेजिडेंसी का मामला
अब्दुल्ला रेजिडेंसी को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने इसे पूरी तरह अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की घोषणा की है। लोकेश खुराना कोई नक्शा पास नहीं है। आवास एवं विकास का कहना है कि अब्दुल्ला रेजिडेंसी कॉलोनी का परिषद ने लिखित रूप में स्पष्ट किया है कि इस कॉलोनी का उनके यहां कोई पंजीकरण या स्वीकृत नक्शा मौजूद नहीं है। मामले में डीएम डॉ. वीके सिंह ने इसे आवास विकास परिषद की जिम्मेदारी बताया, जबकि परिषद ने खुद को असमर्थ बताते हुए हाथ खड़े कर दिए। अब मामला न्यायालय तक पहुंचने की तैयारी में है।
