नई दिल्ली 09 नवंबर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने और संचालित करने के लिए बुधवार को विनियम अधिसूचित किये।
यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा, ‘‘विनियमों का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के अनुरूप भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एफएचईआई) के प्रवेश को सुविधाजनक बनाना और भारत में उच्च शिक्षा को एक अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन विनियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि (भारत) परिसर में दी जाने वाली शिक्षा मूल देश के मुख्य परिसर के समतुल्य हो और इसका संचालन निर्धारित कानून और विनियमों के अनुरूप हो।’’
विनियमों के अनुसार, ‘‘भारत में परिसर स्थापित करने के इच्छुक विदेशी संस्थानों को वैश्विक रैंकिंग की समग्र श्रेणी में शीर्ष 500 के भीतर एक स्थान हासिल किया होना चाहिए, जैसा कि आयोग द्वारा समय-समय पर निर्णय लिया जाता है, या वैश्विक रैंकिंग की विषय-वार श्रेणी में शीर्ष 500 में स्थान होना चाहिए और किसी विशेष क्षेत्र में उत्कृष्ट विशेषज्ञता होनी चाहिए, जैसा कि समय-समय पर आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है।’’
यूजीसी ने कहा कि यदि कोई एफएचईआई विदेशी योगदान प्राप्त करना या उसका उपयोग करना चाहता है, तो उसे विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम अधिनियम, 2010 के तहत पंजीकरण या पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी और एफसीआरए के तहत कानूनी आवश्यकता का अनुपालन करना होगा। इसमें कहा गया है कि विदेशी विश्वविद्यालयों को उनके भारतीय परिसरों में, स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट स्तरों पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री, अनुसंधान और अन्य कार्यक्रमों के लिए अध्ययन कार्यक्रम पेश करने की अनुमति दी जाएगी।
विनियमों में कहा गया है, ‘‘विदेशी विश्वविद्यालय ऐसे शिक्षण केंद्र, अध्ययन केंद्र या फ्रेंचाइजी नहीं खोल सकते जो उनके गृह क्षेत्राधिकार या भारत के बाहर किसी अन्य क्षेत्राधिकार में उनके कार्यक्रमों के लिए प्रचार गतिविधियों के लिए मूल इकाई के प्रतिनिधि कार्यालयों के रूप में कार्य कर सकते हैं। उन्हें भारत में अपने परिसर में कोई भी नया कार्यक्रम शुरू करने से पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इन विनियमों के तहत कोई भी कार्यक्रम ऑनलाइन या मुक्त(ओपन) और दूरस्थ शिक्षा तरीके से पेश नहीं किया जा सकता। हालांकि, ऑनलाइन मोड में व्याख्यान की अनुमति है लेकिन यह कार्यक्रम की आवश्यकताओं के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।’’
विनियमों में कहा गया है, ‘‘दो या दो से अधिक विश्वविद्यालय भारत में परिसर स्थापित करने के लिए सहयोग कर सकते हैं, बशर्ते प्रत्येक संस्थान पात्रता मानदंडों को अलग-अलग आधार पर पूरा करते हों। प्रत्येक विदेशी विश्वविद्यालय भारत में एक से अधिक परिसर स्थापित कर सकता है। हालांकि, उन्हें प्रत्येक प्रस्तावित परिसर के लिए आयोग को एक अलग आवेदन करना होगा।’’इसमें कहा गया है कि विदेशी संस्थानों को एकमुश्त आवेदन शुल्क के अलावा यूजीसी को कोई वार्षिक शुल्क नहीं देना होगा। वे अपने स्वयं के बुनियादी ढांचे, भूमि, भौतिक संसाधनों और मानव संसाधनों का उपयोग करके अपने परिसर स्थापित करेंगे। विदेशी विश्वविद्यालय अपने भारतीय परिसरों में भारतीय छात्रों को पूर्ण या आंशिक योग्यता-आधारित या आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्ति और शुल्क रियायत प्रदान कर सकते हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान भारत में अपने परिसरों में छात्रों को तभी प्रवेश दे सकते हैं और फीस जमा कर सकते हैं, जब यूजीसी द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद उन्हें इन विनियमों के तहत भारत में अपने परिसर संचालन शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।’’इसमें कहा गया है कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों को अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी।
विनियमों में कहा गया है कि भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को नए पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले यूजीसी से पूर्व अनुमति लेनी होगी।