फरीदाबाद 17 नवंबर। मासूम शिवांश का शव जिस दीवान से बरामद हुआ है, उस कमरे की तलाशी मंगलवार को एनआईटी पुलिस की टीम कर चुकी थी। पुलिस ने उसी दीवान के अगल-बगल भी डंडे फटकाकर देखे और खानापूर्ति कर वापस लौट गई। शिवांश की मौत उसके गायब होने के कुछ देर बाद ही हो चुकी थी। परिवार के लोग बच्चे को ढूंढने के लिए गली-मोहल्ले से लेकर पूरे शहर की खाक छान रहे थे। ऐसे में शिकायत के बाद जांच करने आई पुलिस की टीम ने बच्चे और उसकी बुआ के घर की तलाशी भी ली थी। इस सबके बाद बच्चे का शव बुआ के घर में ही बेड से बरामद हुआ। परिजनों का कहना है कि पुलिस की टीम पहले दिन ही ठीक से जांच करती तो मामले का खुलासा मंगलवार को ही हो जाता। लापरवाही की हद उस समय पार हो गई जब पुलिस की टीम ने बेड से बच्चे का शव बरामद करने के बाद भी घर को लॉक नहीं किया। कई घंटों तक खुला रहा और गली के लोग घटनास्थल पर बिना किसी रोक टोक के घूमते रहे।
शिवांश के परिजन और गली के लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस तलाशी के नाम पर केवल खानापूर्ति करती रही और मासूम का शव चार दिनों तक सड़ता रहा। गली में सीसीटीवी में आखिरी बार शिवांश बुआ के घर की तरफ जाता दिखाई दे रहा है। दूसरे कैमरे की फुटेज में शिवांश गली से बाहर जाता दिखाई नहीं दे रहा। इसके बावजूद थाना पुलिस की टीम ने गली की गंभीरता से जांच नहीं की। शिकायत के अगले दिन केस दर्ज होने पर क्राइम ब्रांच की टीम हरकत में आई और बुआ बबीता के बेटों से पूछताछ शुरू की। जांच में सामने आया कि बच्चे का फूफा बलराम घटना के दिन घर पर था। कड़ाई से पूछताछ में उसी ने कबूल किया कि शव घर में ही बेड में पड़ा है। हत्या की संदिग्ध बुआ बबीता भी उसे परिवार के साथ ही तलाशती रही। मुख्य आरोपी बलराम भी वारदात की रात परिवार के साथ ही शिवांश को ढूंढने का नाटक करता रहा।
बच्चे के शव को बरामद करने के बाद थाना पुलिस ने आरोपी के घर को लॉक करना तक जरूरी नहीं समझा और न ही मौके पर कोई पुलिसकर्मी तैनात किया गया, जो लोगों को घटनास्थल पर जाने से रोक सके। ऐसे में सबूतों से छेड़छाड़ का खतरा बना रहा।