Friday, November 22

महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर अखिलेश बोले……

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नई दिल्ली 08 दिसंबर। ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किया गया. सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है. इसको लेकर लोकसभा में ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित हुआ. इससे पहले लोकसभा में 12 बजे एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई थी, जिस पर 2 बजे चर्चा हुआ. चर्चा के बाद स्पीकर ने वोटिंग करवाई. लोकसभा में महुआ मोइत्रा को टीएमसी सांसद के रूप में निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्षी सांसद संसद परिसर से वॉकआउट कर गए. वहीं लोकसभा की कार्यवाही 11 दिसंबर सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.

लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन पर महुआ मोइत्रा ने कहा, अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे इस मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि कोई आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और आप एक महिला सांसद को समर्पण करने से रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे.

महुआ मोइत्रा ने कहा कि ” एथिक्स कमिटी के सामने मेरे खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं था बस उनके पास केवल एक ही मुद्दा था की मैंने अडाणी का मुद्दा उठाया था और इस वजह से संसद की सदस्यता से बर्खास्त किया है.” वहीं हुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने पर टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि महुआ मोइत्रा परिस्थितियों की शिकार हुई हैं. सीएम ममता बनर्जी ने कहा- “हम महुआ के साथ हैं और ये गणतंत्र के अधिकारो का हनन है. मुझे लगा कि प्रधानमंत्री इस बात पर सही रवैया रखेगे, ये एक दुख भरा दिन है पूरे संसद के लिए.”

अब इस मामले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस मामले पर सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिख है कि अगर ये आधार सत्ता पक्ष पर लागू हो जाएं तो शायद उनका एक दो सासंद-विधायक ही सदन में बचेगा.

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा- “सत्ताधारी दल विपक्ष के लोगों की सदस्यता लेने के लिए किसी सलाहकार को रख ले, जिससे मंत्रीगण व सत्ता पक्ष के सासंदों और विधायकों का समय षड्यंत्रकारियों गतिविधियों में न लगकर लोकहित के कार्यों में लगे. जिन आधारों पर सांसदों की सदस्यता ली जा रही है, अगर वो आधार सत्ता पक्ष पर लागू हो जाएं तो शायद उनका एक दो सासंद-विधायक ही सदन में बचेगा. कुछ लोग सत्ता पक्ष के लिए सदन से अधिक सड़क पर घातक साबित होते हैं.”

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