लखनऊ, 16 दिसंबर। लोहिया अस्पताल के डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव ने एक मरीज के गॉल ब्लैडर में पथरी की सर्जरी निजी नर्सिंग होम ‘लगायत’ में की। केस बिगड़ने पर उसे लोहिया ले आए जहां मरीज ने दम तोड़ दिया था। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इस मामले में दोषी डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव और नर्सिंग होम लगायत संचालक डॉ. सुमित सेठ को जुर्माना, हर्जाना, मुकदमा खर्च मिलाकर 1.27 करोड़ शिकायकर्ता फतेहपुर के कलेक्टरगंज निवासी ज्ञानदेव शुक्ल को 30 दिन में अदा करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा दोषी डॉक्टर की मेडिकल प्रैक्टिस पर रोक लगाने के साथ नर्सिंग होम लगायत को सीज करने के आदेश दिए हैं।
ज्ञानदेव शुक्ल का पुत्र शिवम शुक्ल सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था। फतेहपुर में पेट दर्द की जांच में उसके गाल ब्लैडर में पथरी निकली। ज्ञानदेव शिवम को 13 जुलाई 2015 को लखनऊ के लोहिया संयुक्त चिकित्सालय लाए। यहां सर्जन डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने शिवम के कई टेस्ट करवाए। फिर आपेरशन बताया। लोहिया अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सुविधा थी, मगर डॉक्टर ने ज्ञानदेव से कहा कि वह हाईकोर्ट के पास सुरेन्द्र नगर स्थित लगायत सर्जिकल क्लीनिक में भर्ती करवा दो। वहां आपरेशन होगा। 20 जुलाई 2015 को नर्सिंग होम में शिवम को ग्लूकोज चढ़ाने के साथ 40 हजार रुपये वसूले गये। फिर डा. अरुण श्रीवास्तव ने शिवम का आपरेशन किया तो केस बिगड़ गया। डा. अरुण ने शिवम को लोहिया अस्पताल भिजवाया, जहां उसकी मौत हो गई।
आयोग ने निर्णय में डा. अरुण श्रीवास्तव और नर्सिंग होम लगायत को सेवा में त्रुटि का दोषी करार दिया। साथ ही आदेश दिया कि डा. अरुण श्रीवास्तव शिकायकर्ता को 25 लाख रुपये हर्जाना दें। नर्सिंग होम लगायत शिकायकर्ता को 50 लाख रुपये हर्जाना दें। दोनों राशियों पर 20 जुलाई 2015 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज लगेगा।