प्रयागराज, 16 दिसंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि कोई नाबालिग लड़की अपने हित और भविष्य के जीवन के लिए समझदारी भरा निर्णय लेने में सक्षम है तो उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि अपने भविष्य के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने की क्षमता रखने वाली नाबालिग लड़की की अभिरक्षा का निर्णय लेते समय उसके हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। कोर्ट ने परिवार वालों की इच्छा के विरुद्ध अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने वाली नाबालिग लड़की की अभिरक्षा उसके पति को सौंपने की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। आदेश न्यायमूर्ति बीके बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अलीगढ़ के शिवानी व मनीष प्रताप सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए यह दिया है।
शिवानी की मां ने उसके पति मनीष प्रताप के खिलाफ अलीगढ़ के गांधी पार्क थाने में नाबालिग लड़की को भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
कोर्ट ने परिवार वालों की इच्छा के विरुद्ध अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने वाली नाबालिग लड़की की अभिरक्षा उसके पति को सौंपने की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। आदेश न्यायमूर्ति बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अलीगढ़ की शिवानी व मनीष प्रताप सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
शिवानी की मां ने उसके पति मनीष प्रताप के खिलाफ अलीगढ़ के गांधी पार्क थाने में नाबालिग लड़की को भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बाद में पुलिस ने शिवानी को बरामद किया और उसे नारी निकेतन भेज दिया जबकि मनीष को जेल जाना पड़ा। वह बाद में जमानत पर छूटा। दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उन्होंने अपनी इच्छा से शादी की है और पति- पत्नी की तरह रह रहे हैं। शिवानी के शैक्षिक रिकार्ड से पता चला कि घटना के समय उसकी आयु 16 वर्ष चार माह थी।