Friday, November 22

नरेन्द्र सिंह तोमर निर्विरोध चुने गये मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष

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भोपाल 21 दिसंबर। मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा के अध्यक्षनरेंद्र सिंह तोमर बुधवार को निर्विरोध चुन लिए गए। सदन के नेता डा.मोहन यादव, शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, डा. राजेन्द्र कुमार सिंह, भूपेन्द्र सिंह और जयवर्द्धन सिंह ने प्रस्ताव रखा गया, जिसका अन्य सदस्यों ने समर्थन किया। वे विधानसभा के 19 वें अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही ग्वालियर चंबल संभाग से आने वाले पहले विधानसभा अध्यक्ष हैं। उनके निर्वाचन पर सदन के सभी सदस्यों ने उन्हें बधाई दी।

वरिष्ठ नेता उन्हें आसंदी तक लेकर आए और फिर उन्होंने सदन की कार्यवाही का संचालन किया। सदस्यों ने तोमर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए नए दायित्व के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद उन्होंने सदन के वरिष्ठतम सदस्य गोपाल भार्गव द्वारा सामयिक अध्यक्ष के रूप कार्यवाही के सफल संचालन को लेकर आभार प्रकट जताया। तोमर ने कहा कि पंडित कुंजीलाल दुबे से लेकर गिरीश गौतम तक इस लंबी यात्रा में मेरे से पूर्व अध्यक्षों ने अनेक प्रकार के मानदंड, परंपराएं स्थापित की हैं।

तोमर ने कहा कि अध्यक्ष के रूप में मेरी ईमानदार प्रयास होगा कि मैं आपकी अपेक्षा के अनुसार अपने दायित्व का निर्वहन कर सकूं। आप सबने मेरे बारे में अपने विचार व्यक्त किए। मुझे नहीं मालूम कि मैं उन विचारों के योग्य हूं या नहीं लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि मेरी यह जवाबदेही है कि आपने जो भाव मेरे लिए प्रकट किए हैं उनका सम्मान करूं और उसको निभाने की पूरी कोशिश करूं।
तोमर ने कहा कि आसंदी पर रहते हुए मेरा प्रयास होगा कि मेरी नजर हर सदस्य पर रहे और जो अधिकार उसे मिलना चाहिए, वह उससे वंचित न हो। इस बार विधान सभा में बहुत सारे नए सदस्य चुनकर आए हैं। वरिष्ठ सदस्यों उन्हें अपने अनुभव का लाभ दें।
उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र की यह खूबसूरती है कि पक्ष है तो विपक्ष है और पक्ष के बिना विपक्ष अधूरा है और विपक्ष के बिना पक्ष अधूरा है। पक्ष-विपक्ष लोकतंत्र के दो पाहिए हैं और दोनों के मजबूती के साथ कदम से कदम, कंधे से कंधा मिलाकर चलने से हम सभी लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं।

बताते चले कि तोमर 1977 में युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष बने। 1996 में वे युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और 1998 में पहली बार विधायक चुने गए। 2003 में दूसरी बार विधायक बने। 2003 से 2008 तक के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। 2008 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद 2009 में लोकसभा के रास्ते केंद्र में पहुंचे। 2012 में एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा। 2014 में लोकसभा सदस्य चुने गए और केंद्रीय मंत्री भी बने। 2019 में भी लोकसभा सदस्य चुने गए और केंद्रीय मंत्री बने। 2023 में पार्टी ने एक बार फिर उन्हें विधायक का टिकट दिया। वे जीते और अब उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है।

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