लखनऊ, 22 दिसंबर। एक डॉक्टर के नाम पर कई अस्पताल चलाने के मामले में शासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अब सभी निजी अस्पतालों को बोर्ड पर डॉक्टरों से लेकर स्टाफ नर्स तक के नाम लिखने होंगे। जिन्होंने नहीं लिखा है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने सभी सीएमओ से रिपोर्ट मांगी है।
दरअसल, विभिन्न क्षेत्रों में एक ही डॉक्टर द्वारा चार से पांच अस्पतालों में कार्य करने की शिकायतें मिल रही हैं। कई ऐसी भी शिकायतें आई हैं, जिसमें डॉक्टर का सिर्फ नाम होता है, जबकि निजी अस्पताल में सर्जरी कोई और करता है। ऐसी शिकायतों के मद्देनजर सभी अस्पतालों को डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट के नाम, पंजीयन और वहां होने वाली जांच सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद भी ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टरों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इस पर स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी सभी डीएम एवं सीएमओ को नए सिरे से निर्देश दिए हैं कि पंजीकृत हर अस्पताल की जांच की जाए। जो भी अस्पताल पंजीकृत हैं 45 दिन के अंदर उसका नाम, पता, स्वामित्व प्रभारी का नाम, उपचार की पद्धति, डॉक्टर, नर्स और फार्मासिस्ट का नाम, उसकी पंजीयन संख्या आदि अस्पताल परिसर में 15 वर्गफुट के बोर्ड पर लगाया जाए। इसे एनआईसी पोर्टल पर भी अपडेट किया जाए।
बोर्ड लगाने की होगी रैंडम जांच
यह भी निर्देश दिया गया है कि संबंधित जिले में अस्पतालों की सूची तैयार कराकर मुख्यालय भेजी जाए। सीएमओ यह सुनिश्चित करें कि उनके जिले में शत प्रतिशत अस्पतालों में डिस्प्ले बोर्ड लग गया है।
सीएमओ से आने वाली रिपोर्ट के आधार पर संबंधित जिलों में मुख्यालय की टीम रैंडम जांच करेगी। जिन अस्पताल का नाम सूची में होगा और वहां जांच के दौरान बोर्ड नहीं मिला तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।