Monday, December 23

कालोनियों उद्योग शिक्षा संस्थानों में घेरी गई नाली बटियों की सरकारी जमीन की जांच शुरू

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मेरठ 22 सितंबर (प्र)। प्रदेश के विभिन्न जिलों में बन रही रिहायशी और कार्मशियल कालोनियों खुल रहे बड़े बड़े शिक्षा संस्थानों व उद्योगों में उपयोग की गई कई कई सौ बीघा व एकड़ो जमीन में नाली व बटियों के रूप में मौजूद सरकारी जमीन घेर लिये जाने की शासन स्तर पर जांच शुरू कराये जाने की खबर है।

स्मरण रहे कि खेती की भूमि पर पानी के आवागमन और आने जाने के लिए लगभग तीन फीट की नाली और लगभग 8 फीट चौड़ी सड़क सरकारी होती है। 100 बीघा जमीन में एक अनुमान व मौखिक अनुसार कई बीघा भूमि ऐसी भी बताई जाती है लेकिन ज्यादातर बिल्डर स्कूल संचालक व उद्योगपति नाली बटियों की भूमि का भू उपयोग परिवर्तित कराकर उसकी कीमत संबंधित सरकारी खजाने में जमा नहीं कराते है। एक अनुमान अनुसार बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में अगर इसकी सही प्रकार से जांच हो जाए तो पूर्व में जो बिल्डर कालोनी बनाकर बेच चुके है और अब बना रहे है उनसे अरबो रूपयों की वसूली सरकारी राजस्व के रूप में हो सकती है। मगर जनपदों में संबंधित विभागों आवास विकास प्राधिकरण नगर निगम उद्योग शिक्षा विभाग आदि के संबंधित अफसरों के द्वारा इसका संज्ञान न लिये जाने के चलते एक प्रकार से सरकार को भारी आर्थिक नुकसान इतना हो रहा है कि अगर उक्त जमीन के पैसे की वसूली कर उसे रोक दिया जाए तो सरकार की तमाम विकास और जनहित की योजनाऐं तथा माननीय मुख्यमंत्री जी की चुनाव से पूर्व की गई घोषणाऐं पूरी हो सकती है।

 

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