Sunday, December 22

नागरिकों का मानना है कि पेड़ के नीचे जमीन पर बैठाकर कानून की पढ़ाई कराने वाले प्रोफेसर का होना चाहिए सम्मान

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मेरठ 03 मई (प्र)। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी माननीय महामहिम राज्यपाल जी द्वारा देश प्रदेश में शिक्षा को हर स्तर पर बढ़ावा देने और पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के हाथ से अध्ययन का कोई मौका न छूटे जैसे हर संभव प्रयास किये जाते नजर आ रहे है। लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि कमरों के अभाव और चौधरी चरण सिंह विवि की लगातार चल रही परीक्षाओं में कोई बाधा न हो इस बात को दृष्टिगत रख पेड़ के नीचे जमीन पर कानून का लेक्चर देने वाले प्रोफेसर एमपी वर्मा को सम्मान देने और उनकी प्रशंसा करने की बजाए कालेज प्रबंधन द्वारा नोटिस देकर जबाव मांगा गया है।

प्रबंधन समिति के सेकेट्री का कहना है कि इससे विद्यालय की छवि खराब हुई है। 4 मई को 12 बजे प्रोफेसर से जबाव मांग गया है और कहा गया है कि विधि विभाग के ऊपर जब दो कमरे खाली तो फिर वहां क्यों नहीं पढ़ाया गया। इस संदर्भ में कानून के छात्रों का कहना है कि बीते एक महीने से प्रिंसीपल साहब के ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं आखिर क्यों अस्थाई व्यवस्था नहीं की गई। इनके अनुसार विधि विभाग के जिन दो कमरो के खाली होने की बात कही जा रही थी उनके बराबर में परीक्षाऐं चल रही थी। छात्र नेता विनीत चपराना एवं अंकित अधाना के अनुसार कालेज रिकॉर्ड दिखाए कि कब कहां क्लास के लिए कमरे खाली रखे थे।

ऐसी खबरें पढ़कर आज कई नागरिकों का मौखिक रूप से कहना था कि अगर प्रबंधन समिति के सचिव के अनुसार शिक्षक के पेड़ के नीचे पढ़ाने से छवि खराब हुई तो वो बताये कि अपने पुरे कार्यकाल में अभी तक कालेज की छवि सुधारने और छात्रों और पढ़ाई के हित में उन्होंने क्या किया। इनका कहना है कि प्रबंधन समिति को प्रोफेसर वर्मा का आभारी होना चाहिए था कि उन्होंने परीक्षा में व्यवधान न डालने का निर्णय लेकर छात्रों की पढ़ाई का समय बेकार न होने दी या उन्हें पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाया। कई लोगों का तो यह भी कहना है कि सचिव साहब पूरे कार्यकाल प्रधानाचार्य के पद को लेकर चले विवाद में ही अभी तक घिरे रहे है। उन्होंने इस उत्तर भारत के प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान के लिए अपने कार्यकाल में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि अपने दम पर प्राप्त कर प्रस्तुत नहीं की। जहां तक प्रोफेसर वर्मा की बात है तो प्रबंधन समिति को चाहिए कि उनके खिलाफ कार्रवाई की बजाए माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रोफेसर वर्मा की प्रशंसा की जाए जिससे अन्य प्रोफेसरों को भी समय पड़ने पर छात्रों को पढ़ाने का कोई अवसर खोना न पड़े।

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