सभी जानते हैं कि प्लास्टिक और उसके उत्पादन चाहे सिंगल यूज हो या उच्च स्तर कहे जाने लेकिन उनसे नुकसान सेहत के लिए होना अनिवार्य बताते हैं वो बात दूसरी है कि किसी से कम किसी से ज्यादा हो सकता है। वर्तमान में वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक से होने वाले खतरों को लेकर नई चेतावनी जारी की है। उनके अनुसार, दुनिया में फैला प्लास्टिक कचरा बचपन से लेकर बुढ़ापे तक बीमारियों का कारण बन रहा है।
लैंसेट ने प्लास्टिक उत्पादन और उससे होने वाले प्रदूषण पर रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, 1950 के बाद से दुनिया में प्लास्टिक का उत्पादन 200 गुना से ज्यादा बढ़ा है। अगले 35 साल में यह उत्पादन लगभग तीन गुना बढ़कर एक अरब टन प्रति वर्ष से ज्यादा होने के आसार हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि प्लास्टिक के कारण सालाना 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के स्वास्थ्य संबंधी आर्थिक नुकसान उठाने पड़ रहे हैं। द लैंसेट की समीक्षा में कहा गया कि प्लास्टिक उत्पादन में भारी वृद्धि से प्लास्टिक प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। अभी लगभग 8 अरब टन प्लास्टिक से पूरी धरती प्रदूषित हो रही है और इनकी मौजूदगी माउंट एवरेस्ट की चोटी से लेकर गहरी समुद्री खाई तक है। वैज्ञानिकों ने कहा कि प्लास्टिक उत्पादन के दौरान होने वाले उत्सर्जन से पीएम 2.5 कणों की अधिकता बढ़ती है, जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है।
चीन सबसे बड़ा उत्पादक: रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में प्लास्टिक उत्पादन 1950 में 2 मिलियन टन से बढ़कर 2022 में 475 मिलियन टन हो गया है। वहीं अगले 25 साल में 800 मीट्रिक टन और 2060 तक 152 गीगाटन तक बढ़ने का अनुमान है।
भारत में है यह स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 57 फीसदी प्लास्टिक कचरे को खुले में जलाया जाता है, 43 फीसदी लैंडफिल में जाता है। भारत में प्लास्टिक उत्सर्जन की दर हर साल 0.10 मीट्रिक टन से एक मीट्रिक टन के बीच है।
वैसे तो यह समस्या दुनियाभर की है इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ व बड़े देशों को इसका समाधान ढूंढना चाहिए। हमारे देश में पर्यावरण संतुलन बनाने, प्लास्टिक का दुष्परिणाम रोकने के लिए हर साल अरबो रूपये खर्च करने और एनजीटी आदेश लागू करते हैं इसे ध्यान में रखते हुए नागरिकों के स्वास्थ्य का मामला सर्वोपरि मानकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को स्वच्छ भारत और प्रदूषण मुक्त के लिए अभियान चलवा रहे पीएम से मार्गदर्शन प्राप्त कर प्लास्टिक के उत्पादन पर जनहित में रोक लगाएं क्योंकि दुकानों पर छापे मारे जुर्माना वसूलने से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग आज तक नहीं रूका। नागरिकों के अनुसार सुविधा शुल्क का प्रचलन जरूर बढ़ गया है। इसे समय से नहीं रोका तो यह ऐसा अभिशाप बन सकता है जिसका इलाज संभव नहीं होगा।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
वैज्ञानिकों के अनुसार बचपन से बुढ़ापे तक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है प्लास्टिक, सरकार इसके उत्पादन पर ही जनहित में लगाए रोक
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