Thursday, November 13

सेंट्रल मार्केट अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण मामले में सारे विकल्प खत्म, चौथी अर्जी खारिज

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मेरठ 23 जुलाई (प्र)। सेंट्रल मार्केट अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण मामले में व्यापारियों को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारी राजीव गुप्ता द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। राहत पाने के लिए व्यापारियों की यह चौथी याचिका थी। पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब आवास विकास परिषद अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा। हालांकि कोर्ट के आदेश से मायूस हुए व्यापारियों ने कहा कि वह राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में अपील करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को अपने आदेश में सेंट्रल मार्केट में आवासीय भूखंड संख्या 661/6 में भू उपयोग परिवर्तन कर बनाए गए अवैध कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त करने के इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए इस जैसे बाकी अवैध निर्माणों को भी ध्वस्त करने के आदेश दिए थे।

शीर्ष कोर्ट ने व्यापारियों को परिसर खाली करने के लिए 90 दिन का समय देने और इसके बाद परिषद को 15 दिन के अंदर अवैध निर्माण ध्वस्त करने को कहा था। लेकिन आदेश की मियाद के चार महीने बीत जाने के बाद भी अवैध परिसर और इस जैसे अवैध निर्माणों पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।

इस बीच व्यापारियों ने कोर्ट से राहत पाने के लिए एक के बाद एक चार याचिकाएं और प्रार्थना पत्र दाखिल किए, जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया। व्यापारियों को पुनर्विचार याचिका से बहुत उम्मीद थी। लेकिन मंगलवार को यह याचिका भी खारिज हो गई। अब व्यापारियों के हाथ खाली हो चुके हैं और आवास विकास परिषद की कार्यवाही शुरू होगी। आवास विकास परिषद ने अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण के लिए दूसरी बार टेंडर जारी किया है जो एक अगस्त को खोला जाएगा। व्यापारियों ने कहा कि वे इस मामले को सिर्फ अदालत की संविधान पीठ में ले जाएंगे। इसमें सरकार कोई ना कोई रास्ता जरूर निकालेगी।

अब केवल सरकार से उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने से लगा है बड़ा झटका- अब दो दर्जन दुकानों के कांपलेक्स को बचाना मुश्किलमेरठसेंट्रल मार्केट के अवैध निर्माण मामले में सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब केवल सरकार से ही उम्मीद बाकी है। हालांकि अधिकारियों का मानना है कि सेंट्रल मार्केट के 661/6 से संबंधित दो दर्जन दुकानों के कांपलेक्स को बचाना मुश्किल है। कारण वह पूर्णत: आवासीय है। शासन के नये प्रावधान में भी इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अब किसी प्रकार की राहत की उम्मीद करना बेमानी है।

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