अभी बीते दिनों 10 तारीख को उपराष्ट्रपति माननीय जगदीप धनखड़ जी द्वारा कहा गया था कि 2027 में हो जाऊंगा रिटायर्ड जवाहर लाल नेहरू विवि के कार्यक्रम में उनके द्वारा यह कहा गया। लेकिन मानसून सत्र के पहले दिन सियासी दलों से कटूता और खिंचतान भूलकर समान लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रहित में काम करने की सलाह देने वाले आदरणीय उपराष्ट्रपति जी ने इस्तीफा क्यों दिया यह तो अभी स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस ने इसे अप्रत्याक्षित बताते हुए कहा है कि वो पुनः विचार करे उम्मीद है पीएम उन्हें मना लेंगे। सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि धनखड़ जी देश भक्त है। मेरे उनसे विचार मेल नहीं खाते थे लेकिन मुझे यह अच्छा नहीं लग रहा है। उनका कहना है कि वो कभी अपनी बात दिल में नहीं रखते थे वो चाहते थे कि विपक्ष और सरकार मिलकर काम करें।
श्री धनखड़ जी का इस्तीफा माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा मंजूर कर लिया गया है। अब देखना है कि सत्ताधारी दल के नेता और माननीय प्रधानमंत्री जी विपक्ष को साथ लेकर उन्हें मना पाते है कि नहीं अगर मान जाते है तो कोई बात ही नहीं अगर नहीं मानते तो अगला उप राष्ट्रपति कौन होगा और कब चुनाव होगा? यह अभी तय नहीं है
माननीय धनखड़ जी 18 मई 1951 को राजस्थान के किठाना में जन्मे राजस्थान विवि से एलएलबी की डिग्री ली। दिवंगत उप प्रधानमंत्री ताउ देवीलाल जी उन्हें राजनीति में लाये। 1989 में पहली बार वो जनता दल से सांसद बने। 1991 से 2003 तक कांग्रेस में रहे। 1993 में राजस्थान में विधायक बने तथा वीपी सिंह सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाये गये। पूर्व कानून मंत्री अरूण जेटली उन्हें भाजपा में लाये 2019 में वो पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने तथा 21 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति की शपथ ली। कुलमिलाकर देखे तो लगभग सभी प्रभावशाली राजनीतिक दलों से उनके अच्छे संबंध रहे। अपनी स्पष्टवादिता और कानून की अच्छी जानकारी होने के चलते वो जल्दी ही किसी भी मुद्दे पर निर्णय ले लेते है। इसलिए पुराने सहयोगियों से तलखी भी रही। मगर व्यक्तिगत हर कोई उन्हें पसंद करता है इस कारण कोई भी फैंसला किसी भी समय हो सकता है। क्या होगा यह तो समय ही बताएगा। मगर संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए मंगलवार को बैठक बुलाई थी। मगर उससे पहले ही इस्तीफा दे दिया गया। एक चर्चा जो तेजी से चल रही है कि वो किससे नाराज थे और इस्तीफा क्यों दिया। आदरणीय जगदीप धनखड़ जी ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी थे जो न्यायपालिका को चुनौती देने में अगर मुद्दा सही है तो कभी नहीं चूकते थे। इस्तीफे से पूर्व वो बीती 25 जून को उत्तराखंड एक कार्यक्रम में थे उसी दौरान उनकी तबियत अचानक खराब हो गई। 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था इसलिए इस्तीफे में जो स्वास्थ का कारण बताया गया है वो भी सही हो सकता है। बाकी तो जितने मुंह उतनी बात। और अपने लोकतांत्रिक देश में तो अपनी राय देने का सबको पूर्ण अधिकार है इसलिए चारो तरफ इस बिन्दु को लेकर जो चर्चाऐं हो रही है जिन्हें पुख्ता सबूत न होने के चलते यहां नहीं दिया जा सकता।
बताते चले कि पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते हुए वो हमेशा राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चाओं व मीडिया की सुर्खियों में रहे मगर उन्होंने कभी भी किसी भी मुद्दे पर हार नहीं मानी। अभी अगले कुछ दिनों में इस संदर्भ में कई चौकाने वाले तथ्य भी खुलकर सामने आ सकते है। क्योंकि फिलहाल जो चर्चाऐं सुनने को मिल रही है अगर वो सही है तो ऐसा हो सकता है।
बताते चले कि उपराष्ट्रपति कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने वाले धनखड़ जी तीसरे उपराष्ट्रपति है इससे पूर्व वीवी गिरी ने 20 जुलाई 1969 को और वेंटकरमन ने 24 जुलाई 1987 को अपने पद से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था। जबकि पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकांत जी का कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
उपराष्ट्रपति ने क्यों दिया इस्तीफा! मीडिया व राजनीतिक क्षेत्रों सहित जनता में है चर्चा, अगले 24 घंटे में स्थिति हो सकती है स्पष्ट
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