विजन डाक्यूमेंट २०४७ के लिए दो सत्रों में कृषि और शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख लोगों से सुझाव मांगे गए। प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात तथा सेवानिवृत कृषि निदेशक ओमवीर सिंह आदि ने कृषि विवि व चौधरी चरण सिंह विवि के सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षागृह में नागरिकों के सुझाव मांगने के साथ बड़े सब्जबाग दिखाए। ऐसा इन दोनों कार्यक्रमों में मौजूद कुछ लोगों का कहना है इनका मानना हेै कि जब सरकार का भारी बजट खर्च करने के बाद भी मेरठ स्मार्ट सिटी नहीं बन पाया और सीएम योगी व अफसरों के निर्देशों के बाद भी नगर निगम स्वच्छता अभियान को लागू करने में सफल नहीं है। ऐसे में इस प्रकार के सम्मलेनों में बड़े दावे उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में किया जाना सिर्फ मुंगेरी लाल के हसीन सपने से ज्यादा कुछ नहीं लगता। इस बारे में खबर पढ़ी कि कृषि विवि में उपस्थितों को आसानी से पानी भी उपलब्ध नहीं हुआ। लोग कार्यक्रम छोड़कर जाने लगे जिन्हें रोकने के लिए गेट बंद करना पड़ा। लोगों को खाने के पैकेट बांटे जाने पर आपाधापी मची रही। इसे देखकर भी कुछ लोगों का कहना था कि इतने बड़े अफसर मौजूद रहे फिर भी व्यवस्था नहीं बन पाई।
प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने कहा कि २०४७ तक विकसित होगा मेरठ। परिवर्तन हो रहा है। २२ साल में पूरी तौर पर बदल जाएगा मेरठ। बुद्धिजीवियों और किसानों के साथ गोष्ठी में जो यह दावा किया गया उसे देखकर सिर्फ यही कहा जा सकता है कि एक दशक से जो स्थिति नगर निगम क्षेत्र की है उसे देखते हुए यह दावे हवा हवाई है। सब चाहते हैं कि शहर स्मार्ट बने। स्वच्छता और हरियाली रहे लेकिन यह दावा करने से पूर्व नगर विकास प्रमुख सचिव एक बार अगर शहर की घनी आबादी का गुप्त दौरा कर लेते तो वो शायद यह दावा नहीं कर पाते कि २०४७ में क्या होगा। 22 साल व्यक्तियों की जिंदगी का काफी हिस्सा है। ४७ तक कितने ही लोग मौजूद नहीं होंगे और सरकार भी पांच साल का अभियान लेकर चलती है। आपने तो २२ साल आगे की बात बता दी। आप सही हो सकते हैं मगर आम आदमी को इस पर विश्वास नहीं हो रहा है। १०० करोड़ के म्यूनिसिपल बॉड से निगम के आत्मनिर्भर बनने की बात है तो यह अभी से कहा जा सकता है कि सरकारी दबाव में यह बेचे गए तो सीमा पूरी हो सकती है वरना १०० करोड़ तो दूर एक करोड़ के बॉड बिकना भी मुश्किल है क्योंकि लापरवाही भ्रष्टाचार को लेकर निगम की बैठकों में जो हंगामे होते हैं उससे यह संभव नहीं लगता।
यूपी में नगर विकास विभाग द्वारा मेरठ सहित १७ महानगरों में अन्नपूर्णा रसोई शुरूआत करने की बात करते हुए २२.५ रूपये में रसोई की थाली नागरिकों को उपलब्ध कराने की बात की जा रही है। बताते हैं कि २२.५ रूपये में सस्ता भोजन खिलाने पर हर साल २.३० करोड़ लोगों को खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत रोजाना एक हजार लोगों को एक शहर में खाना खिलाने की तेयारी चल रही है। यह काम ५० फीसदी नगर निगमों और ५० फीसदी नगर विकास द्वारा खर्च होगा और इस पर ६० लाख डाइनिंग सेंटर पर और २५ लाख आवाजाही पर खर्च होंगे। योजना बहुत अच्छी है। गरीबों को इससे राहत मिलेगी। मगर सवाल उठता है कि कई प्रकार के विवादों से घिरे नगर निगम के अधिकारी इस योजना को सीएम की भावना के तहत ईमानदारी से लागू कर पाएंगे। मैं किसी पर आरोप नहीं लगा रहा लेकिन जिस तरह स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराने के बारे में सुनने को मिलता है उसे देखकर लगता नहीं कि यह योजना सिरे चढ़ पाएंगी। सब बातें अच्छे सपने दिखाने में सफल रहेंगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन नगर निगम पर और जिम्मेदारियां डालने के बजाय वर्तमान जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए सक्रिय बनाया जाए तो आम आदमी नगर विकास सचिव जी आपका आभारी रहेगा।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अन्नपूर्णा रसोई 2047तक विकसित मेरठ 100 करोड़ के म्यूनिसिपल बॉड प्रमुख सचिव नगर विकास जी ऐसे सपने दिखाने की बजाय नगर निगम को दिया गया काम ही पूरा करा लिया जाए तो अच्छा है
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