Monday, December 23

देहरादून में एक और अधिवक्ता गिरफ्तार, रक्षा मंत्रालय की जमीन का फर्जी बैनामा किया था ड्राफ्ट

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देहरादून, 14 अक्टूबर। देहरादून में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में दून के एक और अधिवक्ता देवराज तिवारी को गत दिवस गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने रक्षा मंत्रालय की जमीन का फर्जी बैनामा अंग्रेजी में ड्राफ्ट कराया था। इसके बाद जमीन पर कब्जे के लिए एसडीएम कोर्ट और हाईकोर्ट में वाद भी दायर किया।
एसआईटी रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब तक तीन अधिवक्ताओं को गिरफ्तार कर चुकी है। मामले में अभी और कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं। एसएसपी अजय सिंह ने बताया, माजरा स्थित रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा जमीन का फर्जी बैनामा बनवाने के आरोप में नगीना, बिजनौर के रहने वाले हुमायूं परवेज को गिरफ्तार किया गया था।
उससे एसआईटी ने पूछताछ की तो देहरादून कचहरी में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता देवराज तिवारी का नाम बताया। इसके बाद बृहस्पतिवार देर रात देवराज तिवारी निवासी मधुर विहार फेज टू, बंजारावाला को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी ने बताया, वह वर्ष 2014 में मदन मोहन शर्मा निवासी दूधली की ओर से माजरा स्थित इस जमीन का मुकदमा लड़ रहा था।
वर्ष 2017 में शर्मा ने इस मुकदमे को वापस ले लिया। इस दरम्यान वह समीर कामयाब के गोल्डन फॉरेस्ट के केस को भी लड़ रहा था। एक दिन समीर कामयाब और हुमायूं परवेज उसके चौंबर में आए। दोनों ने माजरा की इस जमीन का फर्जी बैनामा बनाने की बात कही। समीर की सहारनपुर में रजिस्ट्रार ऑफिस में पहचान थी तो उसने वहां से जरूरी जानकारी जुटा ली।
इसके बाद उन्होंने जमीन के असली मालिक लाला सरनीमल और लाला मणिराम के नाम से 1958 का एक फर्जी बैनामा तैयार कर लिया। इसे हुमायूं के पिता जलीलूह रहमान और समीन के पिता अर्जुन प्रसाद के नाम करा लिया। इस बैनामे की अंग्रेजी में ड्राफ्टिंग अधिवक्ता देवराज तिवारी ने की, जिसे सना नाम की लड़की ने रजिस्ट्री के कागजों में नकल की।
बताया, आरोपियों ने सहारनपुर के रिकॉर्ड रूम में जिल्द चिपकाने के लिए वहां तैनात देव कुमार का सहारा लिया। उसे इस काम के तीन लाख रुपये दिए गए। तीन-चार दिन बाद वहां से नकल लेकर इस पर कब्जे लिए वाद एसडीएम कोर्ट में दायर कर दिया।
रद्दी की दुकान से भी लिए कागजात
फर्जी रजिस्ट्री बनाने के लिए समीर सहारनपुर में अब्दुल गनी नाम के कबाड़ी की दुकान पर भी गया। वहां से बहुत से पुराने कागज निकाले गए। पेपर की बिल्कुल उसी साइज की कटिंग और लाइनिंग समीर ने की। छपाई समीर ने कार्ड वालों के यहां करवाई। फर्जी रजिस्ट्री के पेपर को कॉफी या चाय के पानी में डुबाकर उन्हें सुखाते हुए उन पर प्रेस कर तैयार किए गए।

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