Saturday, October 25

पराली जलाई तो लगेगा 30 हजार रुपये तक का जुर्माना

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मेरठ 17 अक्टूबर (प्र)। दीपावली में कुछ ही दिन शेष बचे हैं और गन्ने का पेराई सत्र भी शुरू होने वाला है। इससे पहले ही पराली प्रबंधन को लेकर शासन-प्रशासन ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा सेटेलाइट स्तर से निगरानी शुरू हो गई है। पराली प्रबंधन की मानीटरिंग जिले में चार स्तरों पर होगी। इसके लिए टीमें गठित की गई हैं। इसमें जिला, तहसील, ब्लाक व ग्राम स्तर पर जिम्मेदारी तय की गई है। किसानों पर लगने वाला आर्थिक जुर्माना भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। यह पांच हजार से लेकर 30 हजार रुपये प्रति घटना तक लगाने की तैयारी है। पराली धान का वह शेष भाग है, जिसकी जड़ भूमि में होती है।

हर साल अक्टूबर में पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं। पराली जलाने से जहां वायुमंडल का प्रदूषण होता है वहीं खेत के सूक्ष्म जीव भी नष्ट होते हैं। यह सूक्ष्म जीव मृदा की उपजाऊ क्षमता को वृद्धि करने में अहम योगदान निभाते हैं। पराली प्रबंधन के लिए शासन प्रशासन की ओर से किसानों को पराली जलाने के बजाय लगातार मल्चिंग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। मल्चिंग करने से खेत की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।

खेत में मल्चिंग कर दें या डी- कंपोजर से बनाएं जैविक खाद
पराली को जलाने के बजाय फसल अवशेष प्रबंधन के यंत्रों से खेत में ही मल्चिंग कर दें। इसके अलावा ही कंपोजर की सहायता से कार्बनिक य जैविक खाद बनाकर प्रयोग में ल सकते हैं।

इस प्रकार गठित हुई टीमें
जिला स्तर पर एडीएम वित्त
तहसील स्तर पर एसडीएम
विकास खंड स्तर पर बीडीओ
ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान

इतना लगेगा जुर्माना
दो एकड़ से कम भूमि- 5 हजार रुपये प्रति घटना
दो से पांच एकड़ तक भूमि 10 हजार रुपये प्रति घटना
पांच एकड़ से अधिक भूमि 30 हजार रुपये प्रति घटना

जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार सिंह का कहना है कि पराली जलाने पर इस बार आर्थिक जुर्माने को गत वर्ष की ही चार स्तरों पर निगरानी व जिम्मेदारी तुलना में दोगुना कर दिया गया है। साथ भी तय कर दी गई है। किसानों को पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

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