मेरठ 12 फरवरी (प्र)। रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी और भाजपा के बीच बढ़ रही नजदीकियां रालोद के ही कुछ विधायकों को पच नहीं रही हैं। जयंत चौधरी का भाजपा गठबंधन के साथ जाने का फैसले से रालोद के चार विधायक खफा हैं। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तमाम विधायक अय्योध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए गए थे। इसमें सपा ने तो किनारा किया, लेकिन रालोद के चार विधायक भी अय्योध्या नहीं गए। इससे स्पष्ट है कि जयंत चौधरी भाजपा के साथ जैसे ही गठबंधन का ऐलान करते है, तभी रालोद के विधायक भी अपना फैसला ले सकते हैं। क्योंकि अभी रालोद और भाजपा के बीच गठबंधन का अधिकृत ऐलान होना बाकी हैं। उसी का रालोद विधायक भी इंतजार कर रहे हैं।
दरअसल, रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी की तरफ से ये हरी झंडी दिखाई गयी थी थी सभी पार्टी के विधायक रामलाला के दर्शन करने जाएंगे। इसका संदेश पहले ही विधायकों को भिजवा दिया गया था। रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी का संदेश मिलने के बाद भी रालोद विधायक चंदन चौहान, अशरफ अली, गुलाम मोहम्मद, मदन भैय्या रामलाला के दर्शन करने नहीं गए। ये चारों रालोद विधायक पार्टी सुप्रीमो जयंत चौधरी के निर्णय से खफा दिखाई दिये, जिसके चलते इनकी अय्योध्या दौरे में गैर हाजिरी रही। ये राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। कहा जा रहा है कि ये चारों विधायक पार्टी सुप्रीमो के खिलाफ बगावत कर सकते हैं। वैसे भी चंदन चौहान, अशरफ अली, गुलाम मोहम्मद ये तीन ऐसे विधायक है, जो सपा के हैं। हालांकि रालोद के सिंबल से ही चुनाव लड़कर सदन में पहुंचे हैं। सपा के खेमे में फिर से इनकी वापसी हो सकती हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की मेहरबानी से ही इनको रालोद का सिंबल दिलाया गया था, जिसकी बदौलत इनको जीत मिली थी। हालांकि मदन भैय्या खतौली उप चुनाव में रालोद के सिंबल पर जीतकर आये थे। वो रालोद के ही हैं, लेकिन उनके खफा होने की वजह अभी साफ नहीं हो रही हैं।
ये कयास पहले दिन से ही लगाये जा रहे थे कि सपा से आये चंदन चौहान, अशरफ अली और गुलाम मोहम्मद तीनों ही सपा में वापसी कर सकते हैं। जयंत चौधरी के भाजपा के साथ गठबंधन की खबरों के बाद तो तीनों विधायकों के सपा में लौटने की प्रबल संभावना बन गई हैं। रालोद और भाजपा के बीच गठबंधन का अभी अधिकृत ऐलान नहीं हुआ हैं। इस गठबंधन के ऐलान के बाद ही ये विधायक अपना फैसला ले सकते हैं।
वहीं पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी रालोद-भाजपा के बीच चल रही गठबंधन की बात को लेकर चुप्पी तोड़ ही दी। उन्होंने कहा कि कुछ दिन में जयंत चौधरी भाजपा से गठबंधन करने के बाद अवश्य ही पछतायेंगे। चार सीट पर जयंत चौधरी फिसल गए। नेतृत्व करते तो 50 सीट की अगुवाई जयंत चौधरी करते। बड़ा वर्ग उनकी अगुवाई का इंतजार कर रहा था। ये उनमें कूवत थी, लेकिन आज नहीं तो कुछ दिन बाद तो जयंत चौधरी को भाजपा से गठबंधन करने के बाद पछताना ही पड़ेगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।