Thursday, November 21

मेरठ में एक और मासूम दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित, पिता ने बेटे के जीवन को बचाने की लगाई गुहार

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मेरठ 16 फरवरी (प्र)। मेरठ में 16 महीने के मासूम बच्चे की जिंदगी खतरे में है। स्पाइन मस्कुलर एट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित यह बच्चा जिंदगी, मौत के बीच झूल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे को महंगे इलाज और करोड़ों रुपए के इंजेक्शन की जरूरत है। परिजन भी बच्चे की सलामती के लिए डॉक्टरों के पास भाग रहे हैं। लेकिन बीमारी इतनी गंभीर और इलाज इतना महंगा है कि सभी परेशान है।

किदवई नगर गली नंबर तीन निवासी मोहसिन के 16 माह के बेटे मोहम्मद हसन में यह बीमारी पाई गई है। इसी मोहल्ले में पिछले महीने मोहम्मद जैन नामक 11 माह के बच्चे की इसी बीमारी से जान जा चुकी है। उसे भी 17 करोड़ रुपये के इंजेक्शन की जरूरत थी, जो लग नहीं सका था। मोहसिन ने बताया कि डॉक्टर द्वारा जांच कराने पर इस बीमारी का पता चला। वह मजदूरी करते हैं। इतने महंगे इंजेक्शन का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं। उन्होंने डीएम दीपक मीणा और राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी से बेटे के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है। इंस्टाग्राम पर भी मदद के लिए अपील की है।

मोहसिन ने बताया कि वह बच्चे को लेकर दिल्ली एम्स गए थे और डॉक्टरों से उसका जीवन बचाने की गुहार लगाई। इस बीमारी के इलाज के लिए जोलगेन्स्मा इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी हर साल दुनियाभर में सौ बच्चों को यह इंजेक्शन फ्री लगाती है। इलाज के लिए डाली जाने वाली लॉटरी में बच्चे हसन का नाम भी शामिल करने का डॉक्टरों ने आश्वासन दिया है। मोहसिन का कहना है कि बच्चे के पास केवल छह महीने हैं क्योंकि इंजेक्शन दो साल की उम्र तक ही लगता है।

खतरनाक बीमारी
ये बेहद खतरनाक बीमारी है, जो ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। समय पर इलाज न मिलने पर पीड़ित की जान भी चली जाती है। भारत में यह बीमारी लगभग 10 हजार बच्चों में एक को होती है।

जहां रिलेशन में विवाह होते हैं, वहां इसके होने का खतरा अधिक होता है। अगर महिला का पहला बच्चा एसएमए से पीड़ित इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा रहता है। उस स्थिति में प्रेग्नेंसी के दौरान जांच की जा सकती है। वहीं कपल कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट दूसरा तरीका है। इसमें पति-पत्नी का ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसमें अगर पता चल जाए कि माता-पिता इस जीन के कैरियर हैं तो 11 सप्ताह बाद पेट में ही बच्चे का टेस्ट किया जाता है।- डॉ. अमित उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ-

जोल गेन्स्मा इंजेक्शन है इस बीमारी का इलाज
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी बीमारी का इलाज जोलगेन्स्मा इंजेक्शन है। यह इंजेक्शन स्विटजरलैंड की एक कंपनी तैयार करती है। यह इंजेक्शन एक तरह का जीन थैरेपी ट्रीटमेंट है। इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ है।

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