Thursday, April 24

बढ़ता प्रदूषण: कार्रवाई नहीं, सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी कर रहा प्रदूषण विभाग

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मोदीपुरम, 22 जून (प्र)। महानगर में प्रदूषण विभाग की आंकड़ों की बाजीगरी देखकर ऐसा लगता है कि यहां प्रदूषण का प्रकोप ही नहीं फैला है। क्योंकि विभाग द्वारा औद्योगिक फैक्ट्री एवं अस्पतालों से निकलने वाले अवशेषों को लेकर अथवा कूड़ा करकट को लेकर अभी तक कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की है जिससे प्रदूषण विभाग इस कार्रवाई को कागजों में दिखा सके और प्रदूषण की रोकथाम के नाम पर अपनी कार्रवाई से रूबरू करा सके। अगर देखा जाए तो पिछले दो से तीन महीने में प्रदूषण विभाग द्वारा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है जो प्रदूषण के नाम पर बड़ी कार्रवाई करवाई गई हो। विभाग के अधिकारी आंकड़ों को बदलने में जादूगरी दिखने में लगे हुए हैं।

महानगर में अस्पताल क्लीनिक और लैब समेत 1200 के आसपास है। इनके अंदर से कूड़ा करकट निकलता है। यह कूड़ा करकट सामान्य नहीं होता है। इस कूड़े करकट से प्रदूषण की मात्रा में कई फीसदी तक बढ़ोतरी हो जाती है, लेकिन आज तक भी प्रदूषण विभाग द्वारा अस्पताल संचालकों पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। जिसका जीता जागता उदाहरण खुद महानगर में देखने को मिल रहा है। महानगर के अस्पतालों से निकलने वाला खराब कूड़ा करकट आज शहर के घरेलू कूड़े करकट में पड़ा हुआ है। जबकि सरकार द्वारा अस्पतालों से निकलने वाले कूड़े करकट को उठाने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को हायर किया हुआ है। कंपनी द्वारा इस कूड़ा करकट को उठाया जाता है, लेकिन उसके बाद भी नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर अस्पताल संचालक कूड़े करकट को आमतौर पर अपने अस्पतालों के बाहर अथवा कूड़े करकट के ढेर में फेंक देते हैं।

कैंसर की चपेट में आए लोग
प्रदूषण बढ़ने के कारण एवं औद्योगिक फैक्ट्री से गंदा पानी निकालने के कारण मेरठ और बागपत के दो दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं। जिनका पानी पीने योग्य नहीं है। यहां के लोग पानी का सेवन करने से बीमार हो रहे हैं और कैंसर की जानलेवा बीमारी से ग्रसित होकर दम तोड़ रहे हैं। जनपद में इसका जीता जागता उदाहरण देदवा गांव में देखने को मिलता है। इस गांव में पानी पीने योग्य नहीं है, लेकिन उसके बाद भी गांव के लोग पानी का सेवन कर रहे हैं, क्योंकि लोगों को अन्य पानी मुहैया कराने के लिए कोई प्रयास शासन प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है। जिसके चलते वह इसी पानी का सेवन करते हैं और कैंसर की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। प्रदूषण विभाग ऐसे मामलों में भी खामोश बैठा है।

सब जगह विभाग की सेटिंग, नहीं होती कार्रवाई
जनपद के देहात क्षेत्र में भी कई छोटे-छोटे औद्योगिक फैक्ट्री ऐसी हैं जो प्रदूषण फैलाने में लगी हुई है। मेरठ में कई हॉट मिक्स प्लांट ऐसे भी हैं, जो लगातार धुआं दे रहे हैं और प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई प्रदूषण विभाग द्वारा नहीं की गई है। अगर विभाग सख्ती के साथ कार्रवाई कर देता तो निश्चित ही प्रदूषण की रोकथाम की हो सकती थी।

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