नई दिल्ली, 22 सितंबर। भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को 10 सालों के लिए वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन मान्यता दर्जा से सम्मानित किया जा रहा है। इस फैसले के बाद भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट्स अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में प्रैक्टिस कर सकेंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रेस रीलिज के अनुसार, वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन मान्यता भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट्स को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे अन्य देशों में मास्टर्स ट्रेनिंग और प्रैक्टिस करने के रास्ते खोलेगा। इस मान्यता के तहत सभी 706 मौजूदा मेडिकल कॉलेज डब्ल्यूएफएमई मान्यता प्राप्त हो गए हैं और आने वाले 10 सालों में स्थापित होने वाले नए मेडिकल कॉलेज अपने आप डब्ल्यूएफएमई मान्यता प्राप्त हो जाएंगे।
इससे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों की वजह से भारत में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को विश्व में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता के साथ संरेखित करके भारत में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों को बढ़ाने का विशेषाधिकार मिलेगा।
प्रेस रीलिज में कहा गया है कि इस मान्यता से भारतीय मेडिकल कॉलेजों और पेशेवरों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कॉलेजों को अकादमिक सहयोग और आदान-प्रदान की सुविधा मिलेगी और मेडिकल शिक्षा में निरंतर सुधार और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। मेडिकल शिक्षकों और संस्थानों के बीच गुणवत्ता आश्वासन की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।
वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एक वैश्विक संगठन है जो दुनिया भर में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए काम करता है। डब्लूएफएमई का मिशन सभी मानव जाति के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रयास करना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, डब्ल्यूएफएमई का पहला उद्देश्य मेडिकल शिक्षा में उच्चतम वैज्ञानिक और नैतिक मानकों को बढ़ावा देने के साथ दुनिया भर में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है।