Monday, December 23

महापौर जी निगम संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु अजय गुप्ता और पूर्व मेयर से कर सकते है सलाह, सरकार तो आपके साथ है ही

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मेरठ 27 दिसंबर (प्र)। नगर निगम क्षेत्र में सरकार द्वारा सफाई और सुधार तथा जनमानस की समस्याओं से संबंध समाधान के लिए भरपूर बजट और सुविधाऐं उपलब्ध कराये जाने के बावजूद गंदगी से लबालब नाले और नाली सड़कों पर पड़ा कूड़ा उठवाने और सफाई की पर्याप्त व्यवस्था एवं मार्ग सुधार न होने से जो समस्याऐं जनता झेल रही है उसको लेकर आज कुछ जागरूक नागरिकों का कहना था कि महापौर हरिकांत अहलूवालिया भरपूर प्रयास कर रहे है इस बात में कोई दो राय नहीं है। पार्षद भी अपने अपने क्षेत्रों में नगर संबंधित कार्य कराने के लिए प्रयासरत है। सब कुछ होने के बाद भी आखिर शासन की मंशा के तहत काम क्यों नहीं हो पा रहा और यहां व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही क्यों नहीं रूक रही इस बारे में जब एक बुजुर्ग भाजपा विचारधारा के व्यक्ति से पूछा गया तो उनका कहना था कि प्रयास तो सब कर रहे है लेकिन सुधार न होने के पीछे कारण ये नजर आते है कि अफसर अपने दावे और घोषणाओं के मकड़जाल में उलझाकर सबका ध्यान भटका रहे है। जब उनसे पूछा कि तो फिर क्या किया जाना चाहिए। तो उनका कहना था कि महापौर हरिकांत अहलूवालिया जी को अपने पार्षदों का एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित करना चाहिए। और उसमें विशेषतौर पर नगर निगम पार्षद और स्थानीय निकायों से जुड़े रहे वर्तमान में संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष अजय गुप्ता और पूर्व महापौर मधु गुर्जर आदि को बुलाकर उन्होंने अपने कार्यकाल में जन मानस की भावनाओं का समाधान कराने में सफलता कैसे पाई इस पर पार्षदों से चर्चा करानी चाहिए। बताते चले कि अजय गुप्ता भाजपा के ऐसे पार्षद रहे जिनसे उस समय के नगर आयुक्त और महापौर दोनों ही इसलिए घबराते थे कि उनकी जानकारी और समस्याओं का समाधान करने पर कराया जाए पर पकड़ तथा उसमें सुधार कैसे हो सकता है यह उन्हें पता होने के साथ साथ अजय गुप्ता की ईमानदारी तथा प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से तालमेल बनाकर काम कराने में महारथ हासिल था। और उनकी वाकपुटता विशेष रूप से काम आती थी। तो दूसरी ओर महापौर के रूप में मधु गुर्जर का काफी बड़ा कार्यकाल सफल कहा जा सकता है क्योंकि शुरू शुरू में वो समायानुकूल निर्णय लेने और समय पर सख्ती दिखाने के लिए जिस प्रकार तेवर बदलती थी उससे सब घबराते थे और उनसे फालतू बात भी नही करते थे क्योंकि वो बुंदेलखंड़ी तरीके से ऐसा जबाव देती थी कि सामने वाला जन समस्याओं का समाधान कराने में ही अपनी भलाई समझता था। और वैसे भी अपने पुराने अनुभवी पार्षदों की एक कमेटी बनाकर महापौर उनसे सुझाव मांग सकते है कि महानगर के पथप्रकाश नियमित रूप से पीने योग्य स्वच्छ पानी की सप्लाई नाले नालियों की सफाई और समय से कूड़ा और नालों से निकलने वाली गदंगी एवं मार्ग सुधार कराने के साथ ही अधिकारियों की लापरवाही और बढ़ रहा भ्रष्टाचार कैसे दूर किया जा सके इसके बारे में उनके माध्यम से विस्तार से एक रिपोर्ट तैयार कर मंडलायुक्त जी और जिलाधिकारी जी के माध्यम से उसे लागू भी करा सकते है और आवश्यकता पड़ने पर सरकार की मदद भी ली जा सकती है क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी पहले ही कह चुके है कि कोई भी जरूरत हो तो सरकार जनहित के मामलों में हमेशा महापौर और पार्षदों के साथ खड़ी है।

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