मेरठ 10 जनवरी (विशेष संवाददाता)। नगर निगम में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में अनियमिता को लेकर बीबीजी कंपनी का अनुबंध निरस्त होने पर नगर निगम के अधिकारी जानकारों के अनुसार आंख मिचकर 2.50 करोड़ का प्रतिमाह भुगतान कराते रहे। बताते है कि 1.50 करोड़ रूपये की बैंक गारंटी निष्पादिन न करने का भी है आरोप। खबरों से पता चलता है कि कूड़ा कलेक्शन मामले में कई पर गिर सकती है कार्रवाई की गाज अफसरों में मचा हुआ है हड़कंप। कंपनी का अनुबंध निलंबित कर सात दिन में नोटिस का जबाव न देने पर निरस्त किये जाने के साथ ही इस प्रकरण की जांच भी अपर नगर आयुक्त पंकज कुमार वित्त एवं मुख्य अधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह मुख्य लेखा परिक्षक अमित भार्गव अधिशासी अभियंता अमित शर्मा डिपो प्रभारी जोनल सेकेट्री राजेश यादव को रखा गया है लेकिन स्वास्थ प्रभारी अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार और नगर स्वास्थ अधिकारी हरपाल सिंह को जांच कमेटी से दूर रखे जाने पर भी सवाल उठ रहे है। इस प्रकरण में नुकसान की वसूली होगी या नहीं नगर निगम के अफसर क्या करेंगे क्या नहीं यह तो बाद की बात है। मगर एक सुद्धि पाठक का मौखिक रूप से यह कहना बड़ा उचित लग रहा है कि ठंड़े बस्ते में जाने के लिए एक और फाईल लापरवाही भ्रष्टाचार और घोटाले की तैयार होने वाली है।नगर निगम कार्यालय में बीते दिनों कुछ लोग अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे और उन्होंने अपनी परेशानी का समाधान न होने पर जो उदगार सुनने को मिले उसका आश्य यह था कि यह नगर निगम नहीं भ्रष्टाचार निगम है। और इसका नाम तो भ्रष्टाचार लापरवाह जांच निगम रख देना चाहिए। अब अगर उसके विचारों को देखे तो उनके पीछे क्या कारण रहे ये तो वोही जाने। मगर एक बात कही जा सकती है कि पूरे साल चाहे वो बेगमपुल से बच्चा पार्क जाने वाले मार्ग पर स्थित जीआईसी कालेज के बाहर बनने वाला नाला हो या अन्य में ज्यादातर में लापरवाही और भ्रष्टाचार की बू तो खबरों को पढ़कर आती ही रही है। उसके बावजूद एक जागरूक नागरिक का यह कथन कि सेवा निवृत्त होने के बाद इंजीनियर साहब के विवादित कार्यों की जांच कराने की बजाए महापौर जी और नगर आयुक्त जी की उपस्थिति में उन्हें पुष्पमाला पहनाकर विदाई दी गई इसका अंदाज पाठ स्वयं लगा सकते है। लेकिन आज तक गिनती की जांचों में भी क्या हुआ यह किसी को पता नहीं चलता बस जांच शुरू हुई इसकी ही खबर पढ़ने को मिलती है कि शायद यही कारण है कि विभाग के अफसर अब कोई भी कारनामा करने से चूकते नहीं है।
महापौर जी ध्यान दीजिए! नगर निगम जनता की निगाह में भ्रष्टाचार लापरवाह जांच निगम, जांचों के परिणाम का पता क्यों नहीं चलता
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