सहारनपुर से प्रयागराज तक की 790 किमी की दूरी तय करने वाली नौचंदी एक्सप्रेस का संचालन इस प्रकार से शुरू हुआ था कि जिस जनपद से यह होकर गुजरती है वहां के लोग इससे सफर कर लखनऊ और इलाहाबाद ऐसे समय पहुंचे कि नागरिक अपने लखनऊ सरकारी और प्रयागराज के कार्य कोर्ट से संबंधित निपटाकर दूसरे दिन सुबह अपने घर पहुंच सके। इसीलिए सहारनपुर से चलकर सुबह पांच बजे लखनऊ और लगभग दस बजे प्रयागराज यह रेल पहुंचती थी लेकिन अब इसके संचालन के समय में किए गए परिवर्तन से एक प्रकार से इसका औचित्य ही नागरिकों के लिए कोई महत्वपूर्ण नही रहेगा क्योंकि अब यह रात को एक बजकर 45 मिनट पर लखनऊ और सुबह साढ़े छह बजे प्रयागराज पहुंचेगी। पहली नजर में अगर देखें तो हाईकोर्ट के कार्य से संबंध जाने वालों के लिए यह समय फिर भी ठीक रहेगा क्योंकि वह सुबह पहुंचकर कोर्ट आदि जा सकते हैं और अपने काम निपटा सकते हैं, लेकिन लखनऊ जाने वालों के लिए यह मानसिक आर्थिक और शारीरिक परेशानी का कारण बनेगी क्योंकि रात में एक बजकर 45 मिनट पहुंचकर यात्री किराये पर होटल या कमरा लेता है तो उस पर आर्थिक बोझ पड़ना ही है। कमरा नहीं लेता है तो रात का समय कहां गुजारे यह मानसिक तनाव का कारण बनेगा। रेलवे स्टेशन या सड़क पर समय गुजारता है तो शारीरिक कष्ट का कारण बनेगा।
मुझे लगता है कि एक अक्टूबर से इसके समय में हो रहे परिवर्तन के समय को ध्यान में रखते हुए सहारनपुर मुजफ्फरनगर और मेरठ मुरादाबाद आदि से इसमें यात्रा कर राजधानी पहुंचे वाले नागरिकों की सुविधा हेतु यहां के सांसद राज्यसभा सदस्य विधायक एमएलसी समेत सत्ता पक्ष के लोगों को रेलमंत्री को पत्र लिखकर इसका विरोध करना चाहिए। क्योंकि इसका असर आगामी चुनाव पर भी पड़ सकता है। इस संदर्भ में मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल और राज्यसभा सदस्य डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने रेलवे के महाप्रबंधक से संपर्क कर उन्हें नागरिकों की समस्याओं से अवगत भी कराया है। लेकिन मुझे लगता है कि मात्र वार्ता करने या पत्र लिखने से आसानी से इस समस्या का हल होने वाला नहीं है। सांसद और जनप्रतिििनधियों को रेलमंत्री से मिलने के साथ ही प्रधानमंत्री को भी इस जनसमस्या से अवगत कराकर इसका समाधान जल्द से जल्द खोजने का प्रयास करना चाहिए।
नौचंदी चले पुराने समय पर सांसद और जनप्रतिनिधि करें प्रयास
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