Tuesday, September 17

जमीनों पर कब्जा कहीं सोमेन्द्र तोमर को घेरने का प्रयास तो नहीं!

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मेरठ 11 सितंबर (नगर संवाददाता)। वर्ष में कभी कभी अचानक कुछ लोग विभिन्न मामलों को लेकर चर्चाओं में आ जाते है। इस कड़ी में आजकल प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर चर्चाओं में है। मंत्री बनने के बाद से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े अपने क्षेत्र सहित सभी जगह से आने वाले नागरिकों की बात सुनने व समस्याओं का समाधान करने एवं कराने की कोशिश करने वाले डा0 सोमेन्द्र तोमर और उनके समर्थकों पर जमीन घेरने के आरोप लग रहे है। पिछले दिनों कुछ महिलाओं पुरूषों ने कमिश्नरी पर प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि उन्होंने हमारी जमीनें कब्जा ली है। तो अभी दो दिन पहले गंगोल तीर्थ के महंत जी द्वारा एसएसपी से मिलकर तीर्थ की जमीन पर ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर के संरक्षण में गांव के लोगों पर कब्जा करने का आरोप लगाया।

मेरे ख्याल में जब से सोमेन्द्र तोमर मंत्री बने है ऐसे गंभीर आरोप शायद उन पर पहले कभी नहीं लगे है। महिलाओं के प्रदर्शन को लेकर सोमेन्द्र तोमर का कहना है कि आरोप पूर्णतया निराधार है। इसी प्रकार से गंगोल तीर्थ की जमीन पर कब्जे के संदर्भ में उनका कहना है कि गाजियाबाद के सांसद निधि से यहां स्थित शहीद स्मारक के विकास और विस्तार का काम चल रहा है। इसके लिए निर्माण सामग्री लेकर पहुंचे लोगों का पता चलते ही गंगोल तीर्थ के महंत शिकायत लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंच गये। असलियत क्या है यह तो जांच का ही विषय है। लेकिन कई नागरिकों का कहना है कि आखिर इतनी कमियां एकदम राज्यमंत्री में कैसे निकल आई कि वो लोगों की जमीनों पर कब्जा करने लगे। कई लोगों का यह भी मानना है कि इन दोनों प्रकरणों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। क्योकि इससे जहां ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर को विवादों में घसीटने की कोशिश भी कह सकते है वहीं सरकार की भी बदनामी बताई जाती है।

लेकिन जहां तक ऊर्जा मंत्री की कार्यप्रणाली का सवाल है वो अपना काम वहां के क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वो अपना काम जिम्मेदारी से कर रहे है। लोग तो यहां तक कहते है कि बिजली आपूर्ति और अन्य समस्याओं के लिए भी विभाग के अधिकारी जिम्मेदार है। राज्यमंत्री तो जितना कर सकते है ज्यादा से ज्यादा प्रयास कर रहे है। कि सभी नागरिकों को अवश्यकता अनुसार बिजली उपलब्ध हो सके और उनकी परेशानी हल हो। जहां तक गंगोल तीर्थ की जमीन घेरे जाने का मामला है यह तो पिछले कई दशकों से चर्चाओं में है। ना तब सोमेन्द्र तोमर मंत्री थे ना विधायक।

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