भाषा प्रांत जाति हर प्रकार के वाद को पीछे छोड़ देशभर में ९८ प्रतिशत जिलों ९२ प्रतिशत खंडों तालुका में संघ की ९१,७४० स्थानों पर तथा ८३,१२९ दैनिक शाखाएं एवं २६,४६० स्थानों पर ३२,१४७ साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं। यह शायद आज से १०० साल पहले ठीक दशहरा के दिन १९२१ को विजयादशमी पर जब डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा नागपुर महाराष्ट्र में आरएसएस की शुरुआत की गई थी तो उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा आएगा कि देश के गांव देहात से लेकर आदिवासी क्षेत्रों में भी संघ के सदस्य देश की अखंडता मजबूती और सदभाव का संदेश देकर देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
साधना के इन १०० सालों के शुरुआती दौर में १९२१ में अंग्रेजी सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा चलाकर हेडगेवार को एक साल के लिए कारावास की सजा सुनाई। तत्पश्चात १९३० में नमक सत्याग्रह कर जेल गए संघ संस्थापक आज भले ही हमारे बीच ना हो लेकिन उनकी प्रेरणा और भविष्य को लेकर सोच व धैर्य का परिणाम है कि संघ परिवार का कुनबा बढ़ता ही जा रहा है। १९४० में नागपुर में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए सभी राज्यों से स्वयंसेवक पहुंचे तो उन्हें संबोधित करते हुए हेडगेवार ने अपने अंतिम भाषण में कहा था कि आज मेरे सामने हिंदू राष्ट्र की छोटी सी प्रतिमा दिखाई दे रही है। भले ही हिंदू राष्ट्र की कल्पना अभी साकार ना हो पाई हो लेकिन आजादी के बाद १९४८ में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संध पर प्रतिबंध लगाया जिसे बाद में हटाने के लिए उसे मजबूर होना पड़ा। इससे संबंध समाचार पढ़कर यह लगता है कि संघ की जमीनी पकड़ और हेडगेवार की विचारधारा समाज में अपने पैर उस समय ही जमा चुकी थी। आज की तारीख में संघ परिवार के शाखाओं के रूप में शिक्षा विद्यार्थी मजबूर किसान वनवासी कला आदि क्षेत्रों में विभिन्न संगठनों के माध्यम से संघ की विचारधारा मजबूती से बढ़ रही है। वर्तमान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय मजदूर संघ, किसान संघ, सेवा भारती, संस्कार भारती, लघु उद्योग भारती, स्वदेशी जागरण मंच प्रज्ञाप्रभा जैसे लगभग ३२ संगठन समाज में सक्रिय होकर संघ परिवार की विचारधारा फैलाने के साथ साथ समय समय पर पडुोसी देशों द्वारा खड़ी की जाने वाली चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए सरकार के साथ संघ परिवार मजबूती से खड़ा नजर आता है। बताते चलें कि अपने तीसरे चरण में १९८८-८९ में संघ संस्थापक हेडगेवार की जन्मशताब्दी में सेवा कार्यो को अधिक गति देने का जो निर्णय लिया गया तभी १९९० में सेवा विभाग आरंभ हुआ। वर्तमान में संघ स्वयंसेवक अभाव ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों के लिए शिक्षा स्वास्थ्य और स्वालंबन के विषय पर १,२९००० सेवा कार्य चला रहा है। यह किसी से छिपा नहीं है कि समाज की सोच परिवर्तन और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना स्वयंसेवकों को समाज का सहयोग और समर्थन मिल रहा है
इस वर्ष २ अक्टूबर का दिन देशवासियों के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहे तो वहीं लाल बहादुर शास्त्री को याद करने के साथ ही आरएसएस के १०० वर्ष का उत्सव भी मनाया जा रहा है। बताते हैं कि सामाजिक समरसता पर्यावरण संरक्षण कुटुब प्रबोधन नागरिक कर्तव्य बोध संघ की विचारधारा के प्रमुख अंग हैं। गो संरक्षण का कार्य भी संघ के सहयोग से चल रहा है। देशभक्ति की भावना के साथ डॉ. हेडगेवार द्वारा जो संघ की स्थापना की गई थी आज हिंदू समाज का बड़ा हिस्सा उसे आगे बढ़ा रहा है।
स्वदेश का आहवान
पीएम मोदी द्वारा स्वदेशी उत्पादों के प्रति जनजागरण और उसे अपनाने के लिए जो वृहद स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है उसे संघ की असली ताकत भी कह सकते हैं। क्योंकि वोकल फॉर लोकल का मंत्र स्वदेशी सामान खरीदने की परंपरा को बढ़ाने का काम कर रहा है। यह भी संघ की असली ताकत है। निस्वार्थ सेवा और अनुशासन ।
बेटियों को देनी होगी ताकत
आज कोई कुछ भी कह ले लेकिन जिस प्रकार बेटियां आज सफलता का परचम फहरा रही है अगर केंद्र व प्रदेश सरकारें महिला सशक्तिकरण को बढ़ाते हुए उसे राजनीति में बराबर की हिस्सेदारी देने की शुरु कर दें तो यह विश्वास से कहा जा सकता है कि नारी जो अब आरएसएस के पथ संचलन में भागीदारी निभा रही है वो संघ की विचारधारा को और आगे बढ़ा सकती है। आजकल देशभर में जागरूकता लाने के लिए पथ संचलन हो रहे हैं। जिससे काफी जागरूकता आ रही है।
संघ के पास हर भारतीय भाषा में गीत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ के पास हर भारतीय भाषा में गीत है। जिनकी संख्या २५,०००, ३०,००० के बीच है। प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन द्वारा गाए गए २५ गीत भी शामिल किए गए हैं। सरल भाषा व स्वभाव तथा देशभक्ति की भावना को आगे बढ़ाने में संघ सफल है। भविष्य में इसकी ताकत और बढ़ सकती है। केंद्र व प्रदेशों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार होने में संघ का योगदान रहा वहीं इससे संघ को भी मजबूती मिली है। पहले जिन शाखाओं में गिनती के लोग दिखाई देते थे वहां अब भीड़ नजर आती है। मैं आरएसएस का समर्थक तो हूं नहीं लेकिन यह बात विश्वास से कही जा सकती है कि बीते कुछ दशक में संघ ने बहुसंख्यको को बल प्रदान किया है।
संघ के शताब्दी वर्ष पर जारी होगा स्मारक डाक टिकट व सिक्का
पीएम मोदी के अनुसार एक अक्टूबर को आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर एक स्मारक डाक टिकट व सिक्का जारी होगा। वर्ष १९२५ में विजयादशमी के दिन के अब २ अक्टूबर को १०० साल होने पर पीएम मोदी उक्त डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। संघ के शताब्दी वर्ष व दशहरा पर्व की सभी को बधाई।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
इस वर्ष महत्वपूर्ण है 2 अक्टूबर! 100 वर्ष में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का सपना साकार करने में सफल रहा संघ परिवार
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