Saturday, July 27

आपराधिक केस होने मात्र से ही पासपोर्ट से इंकार नहीं कर सकते

Pinterest LinkedIn Tumblr +

प्रयागराज 19 अक्टूबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पासपोर्ट के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि आपराधिक केस दर्ज होने या अपील लंबित होने मात्र से पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता है।कोर्ट ने उक्त टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के बासू यादव केस में पारित फैसले का हवाला देते हुए कहा है।

इसी के साथ कोर्ट ने रीजनल पासपोर्ट अधिकारी, लखनऊ को याची को पासपोर्ट जारी करने पर विचार कर 6 हफ्ते में विधि सम्मत निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने आकाश कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याचिका पर बहस करते हुए केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुलिस रिपोर्ट में याची के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज है। याची को कारण बताओं नोटिस दी गई है, लेकिन अभी तक उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है।

वहीं दूसरी तरफ याची के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 155 (1) के तहत जब तक मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस को विवेचना का आदेश नहीं दिया जाता पुलिस एनसीआर केस की विवेचना नहीं कर सकती। याचिका के अनुसार वर्ष 2020 में याची के विरुद्ध आईपीसी की धारा 323, 504 में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

अधिवक्ता ने आगे यह भी कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 468 के तहत यदि मजिस्ट्रेट निश्चित अवधि में संज्ञान नहीं लेता है तो एनसीआर व्यर्थ हो जाएगी। बहस के दौरान यह भी कहा गया कि याची को किसी केस में सजा नहीं मिली है और ना ही इस केस के अलावा कोई आपराधिक इतिहास है।

Share.

About Author

Leave A Reply