नागरिकों के लंबी दूरी के आवागमन हेतु सरकार द्वारा बनाये जा रहे हाईवों और उनके रखरखाव तथा देखभाल के लिए लगाये गये टोल से उत्पन्न समस्याओं ने नागरिकों की नाक में दम करके रख दिया है। इसी से संबंध एक प्रश्न रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्य सभा सदस्य श्री जयंत चौधरी द्वारा अतारंकित प्रश्न के रूप में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी से बीते दिनों पूछा गया कि फास्टैग और कब तक लगेगा दोगुना शुल्क के उत्तर में मंत्री महोदय ने कहा कि जिन वाहनों में वैध या कार्यात्मक फास्टैग नहीं है उन्हें दोगुना शुल्क देना होगा। मंत्री ने बताया कि 30 नवंबर तक जारी किये गये कुल फास्टैग की कुल संख्या 7 करोड़ 98 लाख 7 हजार है। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को संविधान और निर्धारित नियमों तथा सरकार द्वारा बनाये गये कानून और नीतियों का देश के विकास में तेजी लाने के दृष्टिकोण से पूरी तौर पर पालन करना चाहिए।
नितिन गडकरी जी ने जो कहा वो सही है।लेकिन ये भी अटल सत्य है कि जब तक सरकार जिन बातों को लेकर नागरिकों के चालान करती है उन पर जुर्माना लगाती है उनसे संबंध अपने द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं करेगी तब तक ऐसे विवाद और जुर्मानों का विरोध होता ही रहेगा।
मेरा माननीय प्रधानमंत्री जी से विन्रम अनुरोध है कि अपने मंत्री मंड़ल के सहयोगियों और सभी विभागों के अधिकारियों को ये निर्देश दे कि सरकार ने नागरिकों के लिए जो नियम बनाये है उनका पालन कराने के साथ साथ जो कार्य सरकारी अफसरों को करने होते है उन्हें भी पूरा करे और नागरिकों को मिलने वाली सुविधाऐं उपलब्ध कराये। अगर कोई विभाग या मंत्री इस मामले में सफल नहीं होता है तो उसके विरूद्ध भी की जाए दंड़ात्मक कार्यवाही जिससे नागरिकों में ये संतुलन और भावना बनी रहे कि अगर उन पर जुर्माना और चालान हो रहे है तो निर्धारित सुविधाऐं उपलब्ध न कराने वाले हुकुमरान और मंत्रालयों के अधिकारियों पर भी हो रही है कार्यवाहीं।
माननीय प्रधानमंत्री जी जैसा कि नितिन गडकरी जी ने जयंत चौधरी जी के जबाव में कहा कि फास्टैग न लेने व अन्य निमय पूरा न करने पर दोगुना वसूली होगी इस बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है लेकिन जिस दृष्टि से ये जुर्माने और टैक्स लगाये जा रहे है उसके तहत साफ सुधरी सड़के व अन्य सुविधाऐं नागरिकों को मिलनी चाहिए। क्योंकि सिर्फ टैक्स वसूली तभी सही लगती है जब बराबर की कार्यवाही दोनों तरफ के दोषियों के विरूद्ध हो।
आदरणीय पीएम साहब और यूपी के सीएम साहब वर्तमान में हो ये रहा है कि सारा शहर गंदा है नियम के अनुसार सफाई नहीं हो रही। उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों सहित अतिक्रमण को लेकर आम आदमी पर तो जुर्माने और चालान हो रहे है लेकिन जिनके समय में यह अतिक्रमण हुए उन अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। इसीलिए अतिक्रमण शहरों में गंदगी अवैध निर्माण बड़े स्तर पर हो रहे है। और आम आदमी का जुर्माना और चालान कर किया जा रहा है उत्पीड़न। मेरा मानना है कि पीएम साहब की भावनाओं के तहत आम आदमी के चेहरे पर तनावरहित मुस्कान हो और वो अपने आपको उपेक्षित न महसूस करे इस हेतु बिजली विभाग नगर निगम स्थानीय निकाये विभाग से संबंध विभागों परिवहन जीएसटी चिट्फंड सोसायटी रजिस्टार कार्यालय शिक्षा विभाग आदि और इनके अधिकारियों के विरूद्ध भी अगर इनके विभाग से संबंध कोई अनियमता कहीं पाई जाती है तो उससे संबंध नागरिकों के साथ साथ विभागीय अफसरों के खिलाफ भी जुर्माना और सजा तथा निलंबन व विभागीय जांच आदि की कार्यवाही की जाए और जब तक उनके परिणाम नहीं आते तब तक उन्हें संस्पेंड रखा जाए क्योंकि जिस प्रकार ताली एक हाथ से नहीं बजती उसी प्रकार सरकारी महकमें के बाबुओं की मिलीभगत के बिना कुछ भी गलत होना देश में संभव नहीं है।
प्रधानमंत्री जी नागरिकों के चेहरे पर तनावरहित मुस्कान हेतु आम आदमी के साथ ही सरकारी बाबूओं के विरूद्ध भी हो कार्रवाई इनकी सहमति बिना?
Share.