चीन के हांगझोउ में संपन्न हुए एशियन गेम्स की पदक वीर बेटियों और अन्य खिलाड़ियों को देश की जनता पलकों पर बैठा रही है और खुशियां मना रही है। केन्द्र और प्रदेश की सरकारें भी इन्हें प्रोत्साहन देने और खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने में पीछे नहीं है।
अपने देश के ग्रामों में जब होश संभाला था तो एक किदवंति सुनने को मिलती थी कि हर कोई उगते सूरज को जल चढ़ाने के साथ ही प्रणाम करता है छिपते को नहीं। अगर देखा जाए तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है लेकिन अगर दूसरी ओर सोचे तो यह भी सच है कि जो सूरज आज छिपता है वो ही दूसरे दिन उगता है और हम फिर उसे प्रणाम करते है। इसका मतलब है कि छिपने वाला भी कहीं जा नहीं रहा है कल को फिर उसका इकबाल बुलंद होगा। इसलिए हम एक फिल्मी गीत सुख में सिमरन जो करे फिर दुख काहे को होये। इसलिए अगर जरूरत अनुसार छिपते सूर्य को भी सिर झुकाकर प्रणाम किया जाए तो उसमें कोई बुराई नहीं है।
मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि जो खिलाड़ी जीतकर आये है उनका सम्मान स्वागत के साथ ही उन्हें पुरस्कृत तो किया जाना ही चाहिए लेकिन इसी खेल महाकुंभ में विजयी खिलाड़ियों के साथ जो अन्य खिलाड़ी गये थे किसी कारण वंश वो भले ही पुरस्कार नहीं जीत पाए लेकिन जब जा रहे थे तो वो भी विजयी खिलाड़ियों के साथ ही खड़े थे उनका कद भी कम नहीं था। और ये भी नहीं कह सकते कि भविष्य में वो कभी जीत ही नहीं पाएंगे क्योकि भगवान की मर्जी कब किस पर मेहरबान हो जाए और कौन सफलता की सिढ़ियां कब और कहां चढ़ने लगे ये नहीं कहा जा सकता। मेरा मानना है कि जो सफल खिलाड़ी हुए है उनके साथ ही भले ही पदक प्राप्त न कर पाने वाले खिलाड़ियों को नगद राशि या सरकारी पद न दिये जाए लेकिन उनकी तैयारी और खेल महाकुंभ तक जाने का हौंसला जुटाने और प्रर्दशन करने के लिए कम से कम केन्द्र सहित प्रदेश की हर सरकार को अपने प्रदेश के खिलाड़ियों को मुख्यालय पर बुलाकर या जिलों मे जिलाधिकारी अथवा अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से हारे हुए का हौंसला बुलंद करने और उन्हें आगे की तैयारी की प्रेरणा देने हेतु उनका भी सार्वजनिक रूप से मान सम्मान किया जाना चाहिए। क्योंकि किसी भी उभरती प्रतीभा को नजरअंदाज किया जाना ना तो हमारी भारतीय संस्कृति और सोच का परिचायक है और ना ही हमारी परमपराओं के अनुकूल।
इस संदर्भ में मेरा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के साथ ही कांग्रेस सपा बसपा व रालोद आदि सहित सभी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के प्रमुखों से आग्रह है कि जब हारे हुए नेताओं को मंत्रीमंड़ल और पार्टी में प्रमुख स्थान दिये जा सकते है तो उसी भावना के तहत जीत न पाए खिलाड़ियों को भी उनकी काबलियत के अनुसार सम्मान दिया ही जाना चाहिए।
पीएम साहब जब पराजित नेताओं को मंत्रिमंड़ल में स्थान मिल सकता है तो हारे हुए खिलाड़ियों को सम्मान क्यों नहीं?
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