चमोली 10 अक्टूबर। चमोली जिले में समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। धाम को गेंदे के फूलों से सजाया जा रहा है। दोनों धाम के कपाट 11 अक्टूबर को दोपहर डेढ़ बजे बंद किए जाने हैं। कपाटबंदी के मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) का भी हेमकुंड साहिब पहुंचने का कार्यक्रम है। श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने गोविंदघाट में यह जानकारी दी।
उत्तराखंड के चमोली जिले के दुर्गम क्षेत्र में सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब है जो 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां के कपाट शबद कीर्तन और पहली अरदास के साथ प्रतिवर्ष खोले जाते हैं. इसके साथ ही साथ यात्रा दुर्गम होने की वजह से यात्रा में आध्यात्मिक अनुभूति के साथ साथ रोमांच का एहसास भी होता है. मान्यता है कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ लिखा था. और प्रतिवर्ष यहां सिख समुदाय के लोगों के साथ साथ विभिन्न संप्रदाय के लोग भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
हेमकुंड साहिब चारों ओर से बर्फ से घिरा क्षेत्र है, जो हिमालय की गोद में बसा है. साथ ही हिमालय के सप्तशृंग यानी सप्तऋषि पर्वत चोटियों पर खालसा पंथ का प्रतीक चिह्न ‘निशान साहिब’ के ध्वज लहराते रहते हैं. इन सातों पर्वत को हेमकुंड यानी ‘बर्फ का कटोरा’ भी कहा जाता है. इन्हीं पर्वतों से यहां एक झील का निर्माण हुआ है, जिसके किनारे पर श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा स्थित है. इस झील को ‘अमृत सरोवर’ कहा जाता है. जहां साल में लगभग 7 से 8 महीने बर्फ की परत जमी रहती है. स्थानीय निवासियों द्वारा गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब को पवित्र, विस्मय और श्रद्धा का स्थान कहा जाता है और यहां पर स्थित झील और आसपास के क्षेत्र को लोकपाल के नाम से भी जाना जाता है. लोकपाल का अर्थ है ‘लोगों का निर्वाहक’. यहां पहुंच कर तीर्थयात्री सर्वप्रथम इस पवित्र सरोवर में स्नान कर गुरुद्वारे में पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को शीश नवाकर अरदास करते हैं.
श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 11 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. ये अगले 5 महीनों तक बंद रहेंगे. हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने की तिथि निर्धारित होने के बाद से हेमकुंड साहिब में सिख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संख्या में इजाफा होने लगा है.
बिंद्रा ने बताया कि 11 अक्टूबर को धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया सुबह दस बजे से शुरू होगी। सुखमणि साहिब पाठ के बाद 11:15 बजे सबद-कीर्तन होंगे और इसके करीब सवा घंटे बाद इस साल की अंतिम अरदास पढ़ी जाएगी। दोपहर एक बजे गुरुग्रंथ साहिब का हुक्मनामा लिया जाएगा और फिर पंज प्यारों की अगुआई में गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब से सतखंड साहिब ले जाया जाएगा। इसके बाद शीतकाल के लिए धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।