नई दिल्ली 11 नवंबर। केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित डि़जिटल विज्ञापन नीति जारी कर दी है। इस नीति के के तहत डि़जिटल प्लेटफार्म पर लाखों सब्सक्राइबर वाले ‘इन्फ्लूएंसर’ को भी सरकारी विज्ञापन मिलेगा। यूट्यूवर‚ इंस्टाग्राम‚ फेसबुक पर जनता को प्रभावित करने वालों को ‘टारगेटेड़’ विज्ञापन दिया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने पत्रकारों को बताया कि पहले प्रिंट और टीवी को विज्ञापन देने की नीति थी और फिर टीवी या प्रिंट के वेबसाइट को विज्ञापन दिया गया। लेकिन आज का युवा मोबाइल देख रहा है। इसलिए यदि किसी माध्यम के दर्शक ज्यादा हैं तो सरकार को वहां तक पंहुचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘टारगेटेड’ विज्ञापन देने की नीति बनाई है। यादि कोई समाचार देखता है तो उसे समाचार संबंधी विज्ञापन दिखाया जाएगा और यदि काईे खाना पकाने की विधि बताने का काम कर रहा है तो उसे गृहणियों से प्रभावित करने वाली विज्ञापन दिए जाएंगे।
मालूम है कि आज डिजिटल युग में इन्फ्यूएंसर के करोड़़ों की संख्या में सब्सक्राइबर है और लोग उनकी बातों को मानते हैं। यदि उनके सोशल मीडि़या पर सरकारी विज्ञापन जारी किए जाएंगे तो सरकार का संदेश जमीनी स्तर तक जाएगा। अपूर्व चंद्रा का कहना है कि आने वाले समय में ५० प्रतिशत विज्ञापन डि़जिटल प्लेटफार्मों में जा सकते हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पेश की गई नीति‚ केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) को डि़जिटल मीडि़या क्षेत्र में प्रचार करने में सक्षम और सशक्त बनाएगी। नीति के मुताबिक वेबसाइट को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाने के अलावा‚ सीबीसी अब पहली बार अपने सार्वजनिक सेवा अभियान संदेशों को मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से प्रसारित करने में सक्षम होगा। यह नीति पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करते हुए हर खोज के लिए प्रतिस्पर्धी बोली भी पेश करती है।
ओटीटी मंचों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – श्रेणी ए में २५ लाख से अधिक अद्वितीय उपयोगकर्ता और श्रेणी बी में पांच से २५ लाख अद्वितीय उपयोगकर्ता हैं। सीबीसी के साथ पैनल में शामिल होने के लिए पॉड़कास्टर या डि़जिटल ऑडि़यो मंचों के पास कम से कम पांच लाख अद्वितीय उपयोगकर्ता होने चाहिए। ऐसे मंचों को भी ‘ए’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिनके पास २५ लाख से अधिक अद्वितीय उपयोगकर्ता हैं और ‘बी’ के रूप में ५ लाख–२५ लाख के बीच अद्वितीय उपयोगकर्ता हैं।