निरंकुश होते कुछ स्कूल संचालक और शिक्षक प्रधानाचार्य अभिभावक और बच्चो का कर रहे है मानसिक उत्पीड़न
ग्रहकार्य पूर्ण न होने पर परीक्षा में न बैठने देने का आदेश है बालको की शिक्षा विरोधी
दिल्ली, 3 दिसंबर। केंद्र व प्रदेश की सरकार माननीय प्रधानमंत्री जी और यू पी के मुख्यमंत्री जी की भावनाओ के तहत हर बच्चे को शिक्षित और साक्षर बनाने के लिए सस्ती और सुलभ शिक्षा उपलब्ध कराने के हर संभव प्रयास किये जा रहे है और इस अभियान को सफलता से लागू करने हेतु नियम और कानून भी आये दिन बनाये जा रहे है जिस से शिक्षा के मंदिर स्कूलों को कोई शिक्षा की दुकान न बना पाए ।
लेकिन फिर भी कभी मुजफ्फरनगर में कोई शिक्षिका बच्चे को पिटवाती है तो बिजनोर के चांदपुर में शकुंतला इंटर कॉलेज में अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं की धार्मिक आधार पर पिटाई कराई जाती है लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस प्रशासन और सरकार व बाल आयोग सख्त रुख अपना रहा है उसके बावजूद आज प्रात: यह खबर पढ़कर की ग्रह कार्य पूरा नही तो परीक्षा में नही बैठने दिया जाएगा से अभिभावकों में तो रोष है ही कई एन जी ओ भी इस संदर्भ में मुखर होने की बात मौखिक रूप से कर रहे है
एक अखबार में छपी खबर के अनुसार
स्कूल अगर छात्र-छात्राओं का गृह कार्य पूरा नहीं हुआ, तो उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा। यह कहना था शांति निकेतन विद्यापीठ में आए नए प्रधानाचार्य रेवरेंट ब्रदर जिजी मात्यू का। उनके पदभार संभालने के बाद शनिवार को कचहरी रोड स्थित सेंट जेवियर्स वर्ल्ड स्कूल में प्रेसवार्ता आयोजित हुई। रेवरेंट फादर जिजी मात्यू ने स्कूल में किए गए बदलावों के बारे में बताया।
एन जी ओ क्या करेंगे अभीभावक इस हिटलरशाही कथन पर क्या निर्णय लेंगे वो तो एक अलग बात है लेकिन सवाल यह उठता है कि यह लोग निशुल्क शिक्षा तो दे नही रहे मिशनरी आधार पर काम नही कर रहे अवेधरूप से निर्मित इमारतों में चल रहे स्कूलों को शिक्षा की दुकान बनाने वाले जो लोग मोटी फीस लेकर बच्चो को पढ़ाई करा रहे है वो गृह कार्य पुरा न होने पर एग्जाम में बैठने से कैसे रोक सकते है और वैसे भी अब तो सरकार ऐसे मामलों में सख्त रुख अपना रही है इसलिए कुछ अभीभावको के इस मौखिक कथन से में भी सहमत हूँ कि स्कूल के आयोजनों में कुछ वी आई पी को अतिथि बनाकर बुलाने का मतलब यह नही है कि आयोजको के सारे गलत काम और निर्णय सही होते है ।
मेरा तो मानना है कि माननीय मुख्यमंत्री जी गृह कार्य पूरा नही तो परीक्षा में नही बैठने दिया जाएगा कि बात करने वाले प्रधानाचार्य और स्कूल के ख़िलाफ़ बच्चो और अभिभावकों का मानसिक उत्पीड़न का दोषी पाते हुए जनहित में की जाए कार्यवही ।