मेरठ 24 जून (प्र)। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कालेज के सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय के आर्थाेपेडिक विभाग के वार्ड में हुई दुष्कर्म की घटना ने महिला सुरक्षा और अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। अस्पताल में बदइंतजामी की इंतहा है। अधिकांश वार्डों में महिलाओं को पुरुषों के शौचालयों में जाना पड़ता है। यह स्थिति न केवल मरीजों- तीमारदारों के सामने है, बल्कि इस अव्यवस्था का शिकार पैरामेडिकल स्टाफ भी है। यह अव्यवस्था यहां पहले से है लेकिन दुष्कर्म की घटना होने के बाद अस्पताल और कालेज प्रशासन ने अब इसे व्यवस्थित करने के लिए हाथ-पैर मारने शुरू किए हैं।
घटना के बाद सोमवार को अस्पताल में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल से पता चला कि आर्थाेपेडिक विभाग के जिस वार्ड- 16 में घटना घटी, वहां अंदर एक पुरुष शौचालय है। इसका उपयोग पुरुष और महिलाएं दोनों करते हैं। वार्ड में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं है। वार्ड के बाहर भी एक पुरुष शौचालय है। यहां भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था नहीं है। इस शौचालय के बगल में स्नानागार है। वार्ड-16 के दो हिस्से हैं। एक हिस्से में फीमेल और दूसरे में मेल वार्ड बनाया हुआ है। कागज पर पेन से फीमेल वार्ड और मेल वार्ड लिख दिया गया है। मेल और फीमेल वार्ड को अलग करने के लिए कोई अलग दरवाजा या दीवार नहीं है। कोई भी आसानी से फीमेल वार्ड तक पहुंच सकता है। दोनों हिस्सों के बीच नर्सिंग स्टाफ के बैठने की व्यवस्था है। इसी हिस्से में एक पुरुष शौचालय है, जिसका प्रयोग मेल और फीमेल नर्सिंग स्टाफ दोनों करते हैं। गायनी वार्ड को छोड़ दें तो चिकित्सालय के अधिकांश वार्डों का हाल ऐसा ही है। एक ही शौचालय को महिला – पुरुष प्रयोग करते हैं। चिकित्सालय, सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक और इमरजेंसी को मिलाकर लगभग 42 वार्ड हैं। इस अव्यवस्था के बीच महिला सुरक्षा की बात सोचना भी बेमानी है।
एलएलआरएम प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता का कहना है कि घटना में पुलिस की कार्रवाई चल रही है, जिसमें सहयोग किया जा रहा है। आर्थाेपेडिक वार्ड में महिला और पुरुष वार्ड अलग-अलग करने का निर्देश दिया है। जिन वाडों में महिला और पुरुष शौचालय अलग-अलग नहीं है, वहां जल्द इसकी व्यवस्था की जाएगी। सभी विभागाध्यक्षों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
